Seen : 75

Edition: 2023, Ed.5th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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‘सीन : 75’ कथा है बम्बई के फिल्म-जगत की जिसे आज हम बॉलीवुड के नाम से जानते हैं। राही मासूम रज़ा के इस छोटे लेकिन बहुअर्थगर्भी उपन्यास में इसी दुनिया के महत्त्वाकांक्षी, चालाक और सफलता के लिए कुछ भी कर जानेवाले लोगों की कहानी कही गई है।
अली अमजद बनारस जैसे पारम्परिक शहर से बम्बई आता है—स्क्रिप्ट राइटर बनने और यहाँ आकर उसके सामने खुलती है उस दुनिया की घिनौनी हकीकत जहाँ वह सितारा बनना चाहता था। उसके जैसे और भी कई हैं जो इस जगमगाती दुनिया में पैर जमाने और कुछ कर दिखाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कहानियों से कहानियाँ निकलती हैं और यह उपन्यास एक घूमते कैमरे की तरह हमें ऐसे अनेक पात्रों से मिलवाता चलता है जो अपनी कारुणिक त्रासदियों से गुजरते हुए एक सपने का पीछा कर रहे हैं। धनाढ्य लेस्बियंस, संघर्षरत निर्देशक, लिजलिजे निर्माता, उनकी सनकें और चालाकियाँ।
गहरे व्यंग्य और तुर्श हास्यबोध के साथ यह उपन्यास हिन्दू-मुस्लिम तनाव, वर्गीय रिश्तों और कामयाबी की खींचतान में उधड़ते मानवीय रिश्तों की कहानी भी कहता है। राही मासूम रज़ा ने हिन्दी सिनेमा की दुनिया के स्याह-सफेद को बहुत नजदीक से देखा-समझा था। यह उपन्यास इसका प्रमाण है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 1977
Edition Year 2023, Ed.5th
Pages 130p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18.5 X 12.5 X 1.5
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Rahi Masoom Raza

Author: Rahi Masoom Raza

राही मासूम रज़ा

आपका जन्म 1 सितम्बर, 1925 को ग़ाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ।

प्रारम्भिक शिक्षा वहीं, परवर्ती अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में। अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से ही 'उर्दू साहित्य के भारतीय व्यक्तित्व’ पर पीएच.डी.। अध्ययन समाप्त करने के बाद अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में अध्यापन-कार्य से जीविकोपार्जन की शुरुआत। कई वर्षों तक उर्दू साहित्य पढ़ाते रहे। बाद में फ़िल्म-लेखन के लिए बम्बई गए। जीने की जी-तोड़ कोशिशें और आंशिक सफलता। फ़िल्मों में लिखने के साथ-साथ हिन्दी-उर्दू में समान रूप से सृजनात्मक लेखन। फ़िल्म-लेखन को बहुत से लेखकों की तरह 'घटिया काम’ नहीं, बल्कि 'सेमी क्रिएटिव’ काम मानते थे। बी.आर. चोपड़ा के निर्देशन में बने महत्त्वपूर्ण दूरदर्शन धारावाहिक 'महाभारत’ के पटकथा और संवाद-लेखक के रूप में प्रशंसित।

एक ऐसे कवि-कथाकार, जिनके लिए भारतीयता आदमीयत का पर्याय रही।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘आधा गाँव’, ‘टोपी शुक्ला’, ‘हिम्मत जौनपुरी’, ‘सीन : 75’, ‘असन्तोष के दिन’, ‘ओस की बूँद’, ‘दिल एक सादा काग़ज़’, ‘कटरा बी आर्जू’, ‘नीम का पेड़’ (हिन्दी उपन्यास); ‘कारोबारे तमन्ना’, ‘क़यामत’, ‘मुहब्बत के सिवा’ (उर्दू उपन्यास); ‘मैं एक फेरीवाला’ (हिन्दी कविता-संग्रह); ‘नया  साल’, ‘मौजे-गुल : मौजे सबा’, ‘रक्से-मय’, ‘अजनबी शहर : अजनबी रास्ते’ (उर्दू कविता-संग्रह); ‘अट्ठारह सौ सत्तावन’ (हिन्दी-उर्दू महाकाव्य) तथा ‘छोटे आदमी की बड़ी कहानी’ (जीवनी)।

निधन : 15 मार्च, 1992

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