‘वैवाहिक विवाद : क़ानून, सलाहकारिता और समाधान’ पुस्तक अत्यन्त संवेदनशील विषय को केन्द्र में रखकर लिखे गए लेखों का संग्रह है। आज के तनावपूर्ण समय में वैवाहिक विवादों और उनसे उत्पन्न विभिन्न पारिवारिक समस्याओं की संख्या बढ़ती जा रही है। इसका समाधान तलाशने के क्रम में सलाहकारिता को विधि का भी अन्त बना लिया गया है।
‘दो शब्द’ में पुस्तक की अनुवादक निर्मला शेरजंग लिखती हैं, ‘हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा सलाह केन्द्रों का स्थापन करना और दिल्ली क़ानूनी सहायता व सलाह बोर्ड की अध्यक्षता करना इसके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। सलाहकारिता एक मनोवैज्ञानिक रीति है और विवादों को सुलझाने व निपटाने में लाभदायक सिद्ध होती है।’
पुस्तक में मनोवैज्ञानिकों, मनोविश्लेषकों, मनोचिकित्सकों, डॉक्टरों, भारतीय दर्शन के विशेषज्ञों व अनुभवी सलाहकारों के लेख हैं। मूलतः अंग्रेज़ी में लिखे इन लेखों का अनुवाद निर्मला शेरजंग ने किया है। अनुभवी व भाषामर्मज्ञ अनुवादक ने हिन्दी की प्रस्तुति को ध्यान में रखकर सामग्री को प्रस्तुत किया है। विश्वास है कि इस पुस्तक से एक ज्वलन्त समस्या को समझने व सुलझाने की मानसिकता प्रशस्त हो सकेगी।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Publication Year | 2012 |
Edition Year | 2012, Ed. 1st |
Pages | 215p |
Translator | Nirmala Sherjang |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 22 X 14.5 X 1.5 |