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Teri Kurmai Ho Gai ?-Paper Back

Special Price ₹99.00 Regular Price ₹110.00
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9789386863195
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तेरी कुड़माई हो गई?’ एक मार्मिक प्रेम कहानी है जो स्त्री-विमर्श की दृष्टि से भी उत्कृष्ट है। गुलेरी जी की बहुचर्चित कहानी ‘उसने कहा था’ के एक प्रसिद्ध वाक्य ‘तेरी कुड़माई हो गई?’ को कहानी शीर्षक दिया गया है। इस कहानी की विशेषता यह है कि गुलेरी जी की कहानी जहाँ पर समाप्त होती है, उसके आगे यह कहानी शुरू होती है। इस कहानी की एक विशेषता यह है कि इस कहानी के नाम ‘उसने कहा था’ कहानी के ही हैं। नायक लहना की मौत के तीस साल बाद सूबेदारिन अपने अतीत का पुनरवलोकन कर रही है और स्वर्णिम स्मृतियों में जीने का प्रयास कर रही है।

सुगठित कथाकार, मार्मिक संवाद और सुरम्य प्रकृति चित्रण से समन्वित पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है यह पुस्तक ‘तेरी कुड़माई हो गई?’

इस संग्रह की कहानियाँ नि:सन्देह बेजोड़ हैं इनमें नदी की तरह सरस प्रवाह है।

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2017
Edition Year 2017, Ed. 1st
Pages 120p
Price ₹110.00
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21 X 13.5 X 0.5
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Sunil Vikram Singh

Author: Sunil Vikram Singh

सुनील विक्रम सिंह

जन्म : 29 अप्रैल, 1969; वाराणसी जनपद की अकोढ़ा कलाँ गाँव में।

शिक्षा : प्राथमिक शिक्षा कोरापुट (ओड़िसा) जनपद के जामपुर शहर तथा गाँव की प्राथमिक पाठशाला से। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए. तथा एम.ए., जे.आर.एफ./नेट परीक्षा उत्तीर्ण। बी.एच.यू. से पीएच.डी. की उपाधि।

प्रमुख कृतियाँ : ‘काँपता हुआ इन्द्रधनुष’ (उपन्यास); ‘तेरी कुड़माई हो गई?’ (कहानी-संग्रह); ‘हिन्दी साहित्य का कथेतर गद्य’ (समीक्षा); ‘मॉरिशस का कथा-साहित्य और अभिमन्यु अनत’, ‘आधुनिक हिन्दी साहित्य’, ‘प्रहलाद रामशरण : मॉरिशस में हिन्दी साहित्य के अनन्य साधक’ आदि प्रकाशित।

सम्मान : ‘प्रतापनारायण युवा साहित्य सम्मान’, ‘काव्यमित्र सम्मान’, ‘हिन्दी सेवी सम्मान’ से विभूषित।

सम्प्रति : साहित्यिक संस्था ‘संचेतना’ के संस्थापक और ‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन’ जौनपुर के अध्यक्ष।

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