Tanashahi Se Lokshahi

Author: Gene Sharp
Translator: Anil Yadav
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Tanashahi Se Lokshahi
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‘फ़्रॉम डिक्टेटरशिप टू डेमोक्रेसी’ को मूल रूप से 1993 में अहिंसक संघर्ष के मार्गदर्शन के लिए लिखा गया था। चोरी-चोरी, चुपके-चुपके यह पुस्तक दुनिया-भर के तमाम राजनीतिक असन्‍तुष्टों के हाथों में पहुँच गई। बाद में इसका तीस से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया। यह छोटी-सी पुस्तिका इक्कीसवीं सदी के अहिंसावादी क्रान्तिकारियों के लिए ‘कैसे-करें’ की पथप्रदर्शक बन गई है। अहिंसक विरोध प्रदर्शन और रक्तहीन क्रान्ति के सुझाव और व्यावहारिक नियम बतानेवाली यह किताब क्रान्ति या बदलाव के झूठे सपने या कोई अकल्पनीय रास्ते नहीं बताती बल्कि लोगों को परिवर्तन के वास्तविक पहलू से परिचय कराती है।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 176p
Translator Anil Yadav
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20 X 12 X 1
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Author: Gene Sharp

जीन शार्प

जीन शार्प (21 जनवरी, 1928–28; जनवरी, 2018) एक अमेरिकी राजनीतिवि‍ज्ञानी थे। वे अल्बर्ट आइंस्टीन इंस्टीट्यूशन के संस्थापक थे, जो एक ग़ैर-लाभकारी संगठन है और अहिंसक कार्रवाई के अध्ययन को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है। उन्हें अहिंसक संघर्ष पर व्यापक लेखन के लिए जाना जाता है, जिन्होंने दुनिया-भर में कई सरकार विरोधी आन्दोलनों को प्रभावित किया। शार्प को 2015 में ‘नोबेल शान्ति पुरस्कार’ के लिए नामित किया गया था, और इससे पहले तीन बार 2009, 2012 और 2013 में नामांकित किया गया था। 2012 के पुरस्कार के लिए शार्प को व्यापक रूप से पसन्दीदा माना गया था। 2011 में उन्हें ‘एल-हिबरी शान्ति शिक्षा पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। 2012 में अहिंसक प्रतिरोध के मूल सिद्धान्तों और रणनीतियों को विकसित करने तथा दुनिया-भर में संघर्ष क्षेत्रों में व्यावहारिक कार्यान्वयन का समर्थन करने के लिए ‘राइट लाइवलीहुड अवार्ड’  प्राप्त हुआ; साथ ही साथ विशिष्ट ‘लाइफ़टाइम डेमोक्रेसी अवार्ड’ भी। उन्होंने अपनी मातृ संस्था ऑहियो स्टेट विश्वविद्यालय और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई की तथा मेसाचुसेट्स विश्वविद्यालय डार्टमाउथ व हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अध्यापन किया।

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