“अचानक जंगल में सन्नाटा गहरा गया। उस गहरे सन्नाटे को चीरती हाथियों के चिंघाड़ने की आवाज़ें, तभी एक अजीब–सी आवाज़ हाथियों की ओर से आई। मैं समझ गया कि यह वही आवाज़ है जो हाथी अपनी सूँड़ ज़मीन पर पटककर निकालते हैं लेकिन सिर्फ़ शेर के आसपास होने पर–––और फिर सारा जंगल शेर की दहाड़ से काँप उठा।’’ शेर से नज़दीकी का हैरतअंगेज़ रोमांच और एक शिकारी होने का एहसास आपके ज़ेहन को गुदगुदाए बिना नहीं रहेगा। हास्य और व्यंग्य से सँवारे ये लेखक के नितान्त अपने अनुभव हैं।
शेरजंग की इस किताब में एक शिकारी का रोमांच भी है और शेरों के प्रति बाल सहज जिज्ञासा के जवाब भी। शुरू करते ही एक रोचकता पाठक को जकड़ते हुए, एक ऐसी दुनिया में ले जाती है जहाँ शेर ही नहीं जंगल के सारे जानवरों का एहसास होता है। जिसमें शामिल हैं—उनकी आदतें, व्यवहार और उनका जीवन–चक्र।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 2002 |
Edition Year | 2023, Ed. 3rd |
Pages | 176p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 22 X 14.5 X 1.5 |