Lohia Ke Sapno Ka Bharat : Bhartiya Samajwad Ki Ruprekha

Author: Ashok Pankaj
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Lohia Ke Sapno Ka Bharat : Bhartiya Samajwad Ki Ruprekha
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भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं। संविधान के उच्च आदर्शों, मूल्यों तथा प्रगतिशील प्रावधानों के बावजूद समतामूलक समाज की स्थापना लक्ष्य से मीलों दूर है। नर-नारी की असमानता, जाति-बिरादरी की गैर-बराबरी, धार्मिक समूहों का आपसी द्वेष एवं कटुता, अमीर-गरीब की गहराती खाईं, शिक्षा, स्वास्थ्य, भुखमरी एवं बेरोजगारी की समस्या बनी हुई है। नौकरशाही राज्य एवं जनता के द्वारा चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकारों का सामन्तवादी एवं राजशाही सोच, तौर-तरीका एवं व्यवहार बना हुआ है। संविधान के 73वें एवं 74वें संशोधनों के बावजूद भी लोकतंत्र का चौथा खम्भा, पंचायती राज, एक नकली टाँग की तरह लटका दिया गया मालूम पड़ता है। आर्थिक उदारीकरण के दौर में विकास की गति तेज हुई है, लेकिन किसानों, मजदूरों, एवं औद्योगिक श्रमिकों को उसका समुचित लाभ नहीं मिला है। सामाजिक असमानता के छुआछूत जैसे अभिशाप तो मिट रहे हैं, लेकिन आर्थिक असमानता एक नये जातिवाद को पैदा कर रही है, जिससे लोकतंत्र को सचेत रहने की आवश्यकता है। चुनावों में धन का प्रभाव तथा तदनुसार राजनीतिक दलों की पूँजीपतियों पर चुनावी खर्च के लिए निर्भरता लोकतंत्र के लिए सुखद नहीं है। एक प्रकार से, लोकतंत्र की कोख में राजनीतिक-आर्थिक कुलीनतंत्र का भ्रूण विकसित हो रहा है जिसके लोहिया जन्मजात विरोधी थे।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 200p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Ashok Pankaj

Author: Ashok Pankaj

अशोक पंकज

5 नवंबर 1970 को बिहार के जहानाबाद जिला, लाट गाँव, के एक संयुक्त किसान परिवार में जन्म। गाँव के सरकारी स्कूल से प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद, पटना कॉलेज, पटना विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में बी.ए. ऑनर्स; जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से राजनीतिशास्त्र में एम.ए. एवं एम.फिल.। वहीं से पीएच-डी के दौरान नौकरी; तत्पश्चात यूजीसी फेलोशिप एवं पी-एच.डी. स्थगित; बाद में मगध विश्वविद्यालय, बोधगया, से पी-एच.डी. एवं दिल्ली विश्वविद्यालय से एल-एल.बी.। वैश्य कॉलेज, रोहतक, हरियाणा, में राजनीति शास्त्र में प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष तथा 10 वर्षों तक लगातार शिक्षण के पश्चात्, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एवं पॉलिटिकल साइंस के साथ जमीनी शोध कार्य की शुरुआत; इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट, नई दिल्ली के साथ सामाजिक एवं आर्थिक विकास के विषयों पर शोध कार्यों से जुड़ना; बाद में पूर्णरूप से शोध कार्य में संलग्न।

भारत के ग्रामीण जीवन की सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति; पिछड़े समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में बदलाव; सरकार की ग्रामीण विकास तथा कल्याणकारी योजनाओं का प्रभाव इत्यादि, विषयों पर दो दर्जन अध्ययन सम्पन्न। सेज पब्लिकेशन्स, केंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, रूटलेज, स्प्रिंगर से अंग्रेजी में ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, सबलटर्निटी, इक्सक्ल्युजन, सोशल सेक्टर डेवलपमेंट एवं इनक्लूसिव डेवलपमेंट जैसे विषयों पर पाँच पुस्तकें प्रकाशित।

राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित शोध प्रत्रिकाओं में अंग्रेजी, तथा हिन्दी में अनेक शोध-पत्र एवं पुस्तक समीक्षा प्रकाशित

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