Prakriti Ka Dwandwavad

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Prakriti Ka Dwandwavad
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उन्नीसवीं सदी के आरंभ में, और उससे भी अधिक मध्यकाल में, गणित, ज्योतिष, भौतिकी, रसायन तथा जीव-विज्ञान के क्षेत्र में आविष्कारों और उपलब्धियों का एक तांता-सा लग गया था। नए तथ्यों और प्राकृतिक नियमों की स्थापना हुई, नए सिद्धांतों तथा नई परिकल्पनाओं का बीजारोपण हुआ, और विज्ञान के नए उपांग अस्तित्व में आए।

एंगेल्स ने दिखाया कि प्राकृतिक विज्ञान की उस विजय-यात्रा में तीन सर्वोपरि उत्कर्ष हैं–जैव कोशिका की खोज, ऊर्जा की अविनाशिता, रूपांतरण के नियम की खोज और डार्विनवाद। सन् 1838 तथा 1839 ई. में मत्थियस याकोब श्लेईडैन और थियौडोर श्वान ने वनस्पति एवं पशु कोशिकाओं की एकरूपता सिद्ध की। उन्होंने सिद्ध किया कि कोशिका जीवधारियों की मूल रचना-इकाई है, और उन्होंने आंगिक संरचना के एक सांगोपांग कोशिका सिद्धांत की स्थापना की। इस प्रकार उन्होंने जीव-जगत की एकता को प्रमाणित किया। सन् 1842 और 1847 के बीच के काल में जुलियस मायर, जैम्स जूल, विलियम ग्रोव, एल.ए. कोल्डिंग और हरमान हैल्महोल्ट्ज ने ऊर्जा की अविनाशिता तथा रूपांतरण के नियम की खोज करके इसे प्रमाणित किया। परिणामतः प्रकृति का उद्घाटन एक ऐसी अविरत प्रक्रिया के रूप में हुआ जिसमें द्रव्य की एक प्रकार की सर्वव्यापी गति दूसरे प्रकार में बदलती रहती है। 'प्रकृति का द्वंद्ववाद' में जिन विषयों का समावेश है, उनकी रचना एंगेल्स ने 1873 से 1886 ई. तक के काल में की थी। प्रकृति विज्ञान के इतिहास, विशेषतः पुनर्जागरण से उन्नीसवीं सदी के मध्यकाल तक के इतिहास से, पर्याप्त साक्ष्य लेकर एंगेल्स ने दर्शाया है कि प्रकृति विज्ञान का विकास अंततोगत्वा व्यावहारिक आवश्यकताओं से, उत्पादन से, निर्धारित होता है।

हिन्दी में इस पुस्तक की लम्बे समय से प्रतीक्षा थी लेकिन इसके जटिल पाठ के चलते किसी ने इसके अनुवाद का साहस नहीं किया। विज्ञान और प्रगतिशील सोच के हिमायती गुणाकर मुळे ही ऐसे व्यक्ति थे, जो इस पुस्तक की अहमियत को समझते थे और अनुवाद में इसके साथ न्याय कर सकते थे! कुछ पृष्ठों का जो अनुवाद वे किसी कारणवश नहीं कर पाए थे, वह बाद में कराया गया और पूरी पांडुलिपि को व्यवस्थित किया गया। इस पूरी प्रक्रिया में और पांडुलिपि को प्रकाशन योग्य स्थिति तक लाने में श्रीमती शांति गुणाकर मुळे की भूमिका उल्लेखनीय रही है।

आधारभूत मार्क्सवादी साहित्य में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए यह पुस्तक अमूल्य है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 352p
Translator Gunakar Muley
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2.5
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Editorial Review

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Friedrich Engels

Author: Friedrich Engels

फ्रेडरिक एंगेल्स

उन्नीसवीं सदी के प्रमुख दार्शनिकों और राजनीतिक सिद्धांतकारों में शुमार फ्रेडरिक एंगेल्स का जन्म 28 नवंबर, 1820 को जर्मनी में हुआ। वे विख्यात चिंतक-विचारक कार्ल मार्क्स के घनिष्ठ मित्र और सहयोगी थे। ‘कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र’ उन्होंने और कार्ल मार्क्स ने एक साथ मिलकर लिखा था। उन्होंने मार्क्स के निधन के बाद उनकी बहुचर्चित कृति ‘पूंजी’ के दूसरे और तीसरे खंडों का संपादन भी किया। ‘परिवार, निजी संपत्ति और राज्य की उत्पत्ति’ तथा ‘प्रकृति का द्वंद्ववाद’ सहित एंगेल्स ने कई पुस्तकों की रचना की।

पेशे से उद्योगपति और विचारों से समाजवादी क्रांतिकारी एंगेल्स के विचारों और लेखन का पूरी दुनिया पर गहरा असर हुआ।

5 अगस्त, 1895 को ब्रिटेन में उनका देहावसान हुआ।

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