Savant Aunty Ki Ladkiyan-Hard Back

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मिथकों और दंतकथाओं का आविष्कार गीत चतुर्वेदी की कहानियों की विशेषता है। हमारी इतिहास चेतना को तथ्यों के घटाटोप में मूँदकर तबाह करने के षड्यंत्र की मुख़ालफ़त करते हुए गीत की कहानियाँ व्यष्टि के बहाने समष्टि का भावात्मक इतिहास बनकर पाठकों के कलात्मक आस्वाद का विस्तार करती हैं। चाहे 'सौ किलो का साँप' हो, 'सावंत आंटी की लड़कियाँ' या फिर 'साहिब है रंगरेज' जैसी कहानी, गीत हमारे समाज के अवचेतन में दबी पड़ी उत्कंठाओं, आशाओं व दुराशाओं को एक गहन अन्‍तर्दृष्टि के साथ रचनात्मक लहज़े में ढालते हैं।...(उनकी कहानियों के) संसारों की बहुलता के मूल में है भाषा की बहुध्वन्यात्मकता। गीत भाषा के साथ बहुत सजग और रचनात्मक खिलवाड़ करते हैं।    

—प्रियम अंकित; प्रगतिशील वसुधा।

 

इक्कीसवीं सदी के पहले दशक के मेरे प्रिय कवि व कथाकार हैं गीत चतुर्वेदी।    

—नामवर सिंह

 

‘सावंत आंटी की लड़कियाँ’ जीवन को गहरी उथलपुथल में डालती हैं। कठोर इलाकों में प्रवेश करती हुई वे लगभग बेक़ाबू हैं, उनका जोखिम ज़बर्दस्त है, शास्त्रीयता का मुखौटा तोड़नेवाला। यह कहानी फ़तह नहीं, त्रासदी है।    

—ज्ञानरंजन

 

गीत चतुर्वेदी ने अपने गल्प व कविताओं में अवां-गार्द भाव दिखाया है। उनका अध्ययन बेहद विस्तृत है जो कि उनकी पीढ़ी के लिए एक दुर्लभ बात है। यह पढ़ाई उनकी रचनाओं में अनायास व सहज रूप से गुँथी दिखती है। उनकी भाषा व शैली अभिनव है। उनके पास सुलझी हुई दृष्टि है जिसमें क्लीशे नहीं और जो कि वर्तमान विचारधारात्मक खेमों के शिकंजे में भी फँसी हुई नहीं है।    

—अशोक वाजपेयी

 

गीत चतुर्वेदी समकालीन रचनाशीलता के विरल उदाहरण हैं। कविता, कहानी व अनुवाद में उन्होंने कई यादगार काम किए हैं। ‘साहिब है रंगरेज़’ उनके कथाकार की उपलब्धि है।    

—अखिलेश

 

गीत चतुर्वेदी विरल रचनाकारों में से एक हैं। ‘साहिब है रंगरेज़’ निश्चित ही एक बेहतरीन रचना है। हमारे समय की जीवित मन:स्थितियों का एक पाठ।    

—जीतेन्द्र गुप्ता

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2010
Edition Year 2021, Ed. 2nd
Pages 176p
Price ₹495.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Geet Chaturvedi

Author: Geet Chaturvedi

गीत चतुर्वेदी

27 नवम्बर, 1977 को मुम्बई में जन्मे गीत चतुर्वेदी को हिन्दी के सबसे ज़्यादा पढ़े जाने वाले समकालीन लेखकों में से एक माना जाता है। उनकी बारह किताबें प्रकाशित हैं, जिनमें दो कहानी-संग्रह, तीन कविता-संग्रह और उपन्यास ‘सिमसिम’ शामिल हैं। उनके कविता-संग्रह ‘न्यूनतम मैं’ और ‘ख़ुशियों के गुप्तचर’ हिन्दी की बेस्टसेलर सूचियों में शामिल रहे। ‘टेबल लैम्प’ और ‘अधूरी चीज़ों का देवता’ साहित्य, सिनेमा व संगीत पर लिखे उनके निबन्धों के संग्रह हैं।

कविता के लिए उनको ‘भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार’, ‘स्पंदन कृति सम्मान’, ‘वाग्धारा नवरत्न सम्मान’ तथा गल्प के लिए ‘कृष्णप्रताप कथा सम्मान’, ‘शैलेश मटियानी कथा सम्मान’, ‘कृष्ण बलदेव वैद फ़ेलोशिप’ और ‘सैयद हैदर रज़ा फ़ेलोशिप’ मिल चुके हैं। हिन्दी साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें ‘वातायन-यूके’ द्वारा ‘वातायन अन्तरराष्ट्रीय साहित्य सम्मान’ दिया गया है। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ सहित कई प्रकाशन संस्थानों ने उन्हें भारतीय भाषाओं के सर्वश्रेष्ठ लेखकों में शुमार किया है।

उनकी रचनाएँ देश-दुनिया की 24 भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं। उनकी कविताओं के अंग्रेज़ी अनुवाद का संग्रह ‘द मेमरी ऑफ़ नाउ’ 2019 में अमेरिका से प्रकाशित हुआ। उनके उपन्यास ‘सिमसिम’ के अंग्रेज़ी अनुवाद को (अनुवादक : अनिता गोपालन) ‘पेन अमेरिका’ ने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित ‘पेन-हैम ट्रांसलेशन ग्रांट’ अवार्ड किया है। 2023 में ‘सिमसिम’ को ‘जेसीबी प्राइज़ फ़ॉर लिटरेचर’ की दीर्घ-सूची में शामिल किया गया।

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