Sarkari Karya Mein Badha

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सरकारी कार्य में बाधा
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देश की रक्षा के उपायों से मेरी उलझन बढ़ती जा रही थी। सहायक सुलझाता जा रहा था—भाई साहब हैं राष्ट्र के सेवक। उनके नीचे और भी कई राष्ट्रसेवक नियुक्त हैं। भाई साहब उन्हीं से राष्ट्र को बचा रहे हैं। वे भी भाई साहब से माँग करते हैं कि जैसे आप राष्ट्र की चिन्ता कर रहे हैं, वैसे ही हमें भी करने का अवसर दिया जाए। एक नौकरशाह कहता है—दस प्रतिशत राष्ट्र मैं भी पेट में सुरक्षित रखना चाहता हूँ। एक इंजीनियर कहता है—पाँच प्रतिशत मैं भी सुरक्षित रखना चाहता हूँ। एक ठेकेदार कहता है—दो प्रतिशत मैं भी सुरक्षित रखना चाहता हूँ। ये सब सुरक्षा के नाम पर राष्ट्र को खा जाने की साजिश कर रहे हैं। पर भाई साहब ऐसा होने नहीं देंगे। राष्ट्र को बचाने के लिए उन्होंने राष्ट्र को अपने पेट में रख लिया है। राष्ट्र की चिन्ता पर अब सिर्फ भाई साहब का ‘कॉपीराइट’ रहेगा। उनकी पारखी नजर में जो खरा उतरेगा, उन्हें जो ईमानदार लगेगा, उसे चिन्ता का कुछ प्रतिशत सुरक्षित रखने के लिए देंगे।

— ‘राष्ट्र चिन्ता का कॉपीराइट’ शीर्षक व्यंग्य से

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Vibhanshu Keshav

Author: Vibhanshu Keshav

विभांशु केशव

बनारस, उत्तर प्रदेश के छितौना गाँव में 20 अगस्त, 1984 को जन्मे विभांशु केशव पेशे से पत्रकार हैं। कुछ समाचारपत्रों के साथ पत्रकारिता करने के बाद पिछले कुछ वर्षों से स्वतंत्र लेखन और खेती-बाड़ी कर रहे हैं। उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं और वेबसाइटों के लिए व्यंग्य-स्तम्भ लिखे हैं। उनका पहला व्यंग्य-संग्रह ‘गूगल कालीन भारत’ 2018 में प्रकाशित हुआ। ‘सरकारी कार्य में बाधा’ उनका दूसरा व्यंग्य-संग्रह है।

फिलहाल गाँव में प्रवास और अध्ययन-चिन्तन।

ई-मेल : vibhanshukeshav@gmail.com

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