देश की रक्षा के उपायों से मेरी उलझन बढ़ती जा रही थी। सहायक सुलझाता जा रहा था—भाई साहब हैं राष्ट्र के सेवक। उनके नीचे और भी कई राष्ट्रसेवक नियुक्त हैं। भाई साहब उन्हीं से राष्ट्र को बचा रहे हैं। वे भी भाई साहब से माँग करते हैं कि जैसे आप राष्ट्र की चिन्ता कर रहे हैं, वैसे ही हमें भी करने का अवसर दिया जाए। एक नौकरशाह कहता है—दस प्रतिशत राष्ट्र मैं भी पेट में सुरक्षित रखना चाहता हूँ। एक इंजीनियर कहता है—पाँच प्रतिशत मैं भी सुरक्षित रखना चाहता हूँ। एक ठेकेदार कहता है—दो प्रतिशत मैं भी सुरक्षित रखना चाहता हूँ। ये सब सुरक्षा के नाम पर राष्ट्र को खा जाने की साजिश कर रहे हैं। पर भाई साहब ऐसा होने नहीं देंगे। राष्ट्र को बचाने के लिए उन्होंने राष्ट्र को अपने पेट में रख लिया है। राष्ट्र की चिन्ता पर अब सिर्फ भाई साहब का ‘कॉपीराइट’ रहेगा। उनकी पारखी नजर में जो खरा उतरेगा, उन्हें जो ईमानदार लगेगा, उसे चिन्ता का कुछ प्रतिशत सुरक्षित रखने के लिए देंगे।
— ‘राष्ट्र चिन्ता का कॉपीराइट’ शीर्षक व्यंग्य से
Language | Hindi |
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Binding | Paper Back |
Publication Year | 2023 |
Edition Year | 2023, Ed. 1st |
Pages | 160p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 1.5 |