Sant Na Bandhe Ganthari

Fiction : Novel
Author: Mithileshwar
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Sant Na Bandhe Ganthari
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‘संत न बाँधे गाँठड़ी’ उपन्यास जीवन और समाज से अभिन्न धार्मिक आस्था-विश्वास, श्रद्धा-भक्ति तथा आध्यात्मिक चेतना के विकास के नाम पर हमारे समक्ष निरन्तर गहराते संकट से न सिर्फ़ अवगत कराता है बल्कि अन्धश्रद्धा के ख़िलाफ़ हमें जागरूक और सतर्क बने रहने की प्रबल प्रेरणा भी देता है।

यह उपन्यास वैसे बाबाओं, स्वामियों एवं गुरुओं को ही कटघरे में नहीं लाता बल्कि इसके लिए जनसमाज की अन्धश्रद्धा को भी ज़िम्मेवार मानता है। अपने ही जैसे किसी इंसान को गुरु और संत के तहत ईश्वर का प्रतिरूप समझ उनके प्रति अपना तन-मन और धन सर्मिपत कर देना अन्धश्रद्धा नहीं तो और क्या है।

उपन्यास की व्यापकता और महत्त्व का परिचायक इसका ऐसा कथ्य और तथ्य है जिसके तहत धार्मिक, आध्यात्मिक क्षेत्र के किसी भी पक्ष को ऩजरअन्दाज नहीं किया गया है, बल्कि गहराई, बेबाकी और सूक्ष्मता के साथ पूरे परिदृश्य का ऐसा सम्यक् और सटीक विश्लेषण हुआ है जिसके तहत दूध का दूध और पानी का पानी की तरह धार्मिक, आध्यत्मिक जगत का सत्य और तथ्य, कपट और पाखंड तथा योग और भोग सबकुछ स्पष्ट होता चला गया है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, 1st Ed.
Pages 287p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
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Editorial Review

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Mithileshwar

Author: Mithileshwar

मिथिलेश्वर

जन्म : 31 दिसम्बर, 1950; बैसाडीह, भोजपुर (बिहार)।

शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी. (हिन्दी साहित्य)।

प्रमुख कृतियाँ : ‘बाबूजी’, ‘बंद रास्तों के बीच’, ‘दूसरा महाभारत’, ‘मेघना का निर्णय’, ‘तिरिया जनम’, ‘हरिहर काका’, ‘एक में अनेक’, ‘एक थे प्रो. बी. लाल’, ‘भोर होने से पहले’, ‘चल ख़ुसरो घर आपने’, ‘जमुनी’ तथा ‘रैन भयी चहुँ देस’, ‘प्रतिनिधि कहानियाँ’, ‘मिथिलेश्वर की सम्पूर्ण कहानियाँ’—तीन खंडों में (कहानी-संग्रह); ‘झुनिया’, ‘युद्धस्थल’, ‘प्रेम न बाड़ी ऊपजै’, ‘यह अन्त नहीं’, ‘सुरंग में सुबह’, ‘माटी कहे कुम्हार से’, ‘तेरा संगी कोई नहीं’ तथा ‘संत न बाँधे गाँठड़ी’ (उपन्‍यास); ‘पानी बीच मीन पियासी’, ‘कहाँ तक कहें युगों की बात’, ‘जाग चेत कुछ करौ उपाई’ (आत्‍मकथा); ‘भोजपुरी लोककथा’, ‘भोजपुरी की 51 लोककथाओं की पुनर्रचना’ (लोक साहित्य); ‘साहित्य की सामयिकता’, ‘साहित्य, चिन्‍तन और सृजन’ (विचार साहित्य); ‘उस रात की बात’, ‘गाँव के लोग’, ‘एक था पंकज’ (नवसाक्षर एवं बालसाहित्य); 'मित्र' अनियतकालीन साहित्यिक पत्रिका (सम्‍पादन)।

पुरस्कार : ‘अखिल भारतीय मुक्तिबोध पुरस्कार’, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’, ‘यशपाल पुरस्कार’, ‘अमृत पुरस्कार’, ‘अखिल भारतीय वीर सिंह देव पुरस्कार’ तथा ‘श्रीलाल शुक्ल इफको स्मृति सम्मान’।

सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर, हिन्दी विभाग, वीरकुँवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा।

सम्पर्क : महराजा हाता, आरा—802301 (बिहार)।

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