Pratinidhi Kahaniyan : Mithileshwar

Author: Mithileshwar
Edition: 1997, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Pratinidhi Kahaniyan : Mithileshwar
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मिथिलेश्वर हिन्दी कथा-साहित्य में एक अलग महत्त्व रखते हैं। प्रेमचन्द और रेणु के बाद हिन्दी कहानी से जिस गाँव को निष्कासित कर दिया गया था, अपनी कहानियों में मिथिलेश्वर ने उसी की प्रतिष्ठा की है। दूसरे शब्दों में, वे ग्रामीण यथार्थ के महत्त्वपूर्ण कथाकार हैं और उन्होंने आज की कहानी को संघर्षशील जीवन-दृष्टि तथा रचनात्मक सहजता के साथ पुन: सामाजिक बनाने का कार्य किया है।

इस संग्रह में शामिल उनकी प्राय: सभी कहानियाँ बहुचर्चित रही हैं। ये सभी कहानियाँ वर्तमान ग्रामीण जीवन के विभिन्न अन्तर्विरोधों को उद्‌घाटित करती हैं, जिससे पता चलता है कि आज़ादी के बाद ग्रामीण यथार्थ किस हद तक भयावह और जटिल हुआ है। बदलने के नाम पर ग़रीब के शोषण के तरीक़े बदले हैं और विकास के नाम पर उनमें शहर और उसकी बहुविध विकृतियाँ पहुँची हैं।

निस्सन्देह इन कहानियों में लेखक ने जिन जीवन-स्थितियों और पात्रों का चित्रण किया है, वे हमारी जानकारी में कुछ बुनियादी इज़ाफ़ा करते हैं और उनकी निराडम्बर भाषा-शैली इन कहानियों को और अधिक सार्थक बनाती हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 1997
Edition Year 1997, Ed. 1st
Pages 147p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12.4 X 1
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Mithileshwar

Author: Mithileshwar

मिथिलेश्वर

जन्म : 31 दिसम्बर, 1950; बैसाडीह, भोजपुर (बिहार)।

शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी. (हिन्दी साहित्य)।

प्रमुख कृतियाँ : ‘बाबूजी’, ‘बंद रास्तों के बीच’, ‘दूसरा महाभारत’, ‘मेघना का निर्णय’, ‘तिरिया जनम’, ‘हरिहर काका’, ‘एक में अनेक’, ‘एक थे प्रो. बी. लाल’, ‘भोर होने से पहले’, ‘चल ख़ुसरो घर आपने’, ‘जमुनी’ तथा ‘रैन भयी चहुँ देस’, ‘प्रतिनिधि कहानियाँ’, ‘मिथिलेश्वर की सम्पूर्ण कहानियाँ’—तीन खंडों में (कहानी-संग्रह); ‘झुनिया’, ‘युद्धस्थल’, ‘प्रेम न बाड़ी ऊपजै’, ‘यह अन्त नहीं’, ‘सुरंग में सुबह’, ‘माटी कहे कुम्हार से’, ‘तेरा संगी कोई नहीं’ तथा ‘संत न बाँधे गाँठड़ी’ (उपन्‍यास); ‘पानी बीच मीन पियासी’, ‘कहाँ तक कहें युगों की बात’, ‘जाग चेत कुछ करौ उपाई’ (आत्‍मकथा); ‘भोजपुरी लोककथा’, ‘भोजपुरी की 51 लोककथाओं की पुनर्रचना’ (लोक साहित्य); ‘साहित्य की सामयिकता’, ‘साहित्य, चिन्‍तन और सृजन’ (विचार साहित्य); ‘उस रात की बात’, ‘गाँव के लोग’, ‘एक था पंकज’ (नवसाक्षर एवं बालसाहित्य); 'मित्र' अनियतकालीन साहित्यिक पत्रिका (सम्‍पादन)।

पुरस्कार : ‘अखिल भारतीय मुक्तिबोध पुरस्कार’, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’, ‘यशपाल पुरस्कार’, ‘अमृत पुरस्कार’, ‘अखिल भारतीय वीर सिंह देव पुरस्कार’ तथा ‘श्रीलाल शुक्ल इफको स्मृति सम्मान’।

सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर, हिन्दी विभाग, वीरकुँवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा।

सम्पर्क : महराजा हाता, आरा—802301 (बिहार)।

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