Samay Ke Sulagte Sarokar -Hard Back

ISBN: 9789389243260
Edition: 2019, 1st Ed.
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
Special Price ₹335.75 Regular Price ₹395.00
15% Off
In stock
SKU
9789389243260
- +
Share:

महात्मा बुद्ध ने कहा है—प्रश्न करो। हर स्थिति पर प्रश्न करो। परन्तु, आज व्यवस्था ने प्रश्न करने को अपराध करार कर दिया है। ऐसे बन्धनकारी युग में जीवित रहने के लिए प्रश्न करने को ज़रूरी मानते हैं प्रो. सेवाराम त्रिपाठी। उनके अनुसार प्रश्न करना ही संसार और समाज की बेहतरी का मूलमंत्र है। समय, समाज और युग की प्रश्नाकुल शिनाख़्त करते उनके वैचारिक लेखों की पुस्तक है—‘समय के सुलगते सरोकार’। सेवाराम त्रिपाठी जी के इस निबन्‍ध-संकलन में उनका समय प्रतिबिम्बित ही नहीं, परिभाषित भी हुआ है। निरन्तर और तेज़ी से बदल रहे समाज, राजनीति और सांस्कृतिक हलचलों को अनेक पक्षों से देखने के बाद एक सुचिन्तित पड़ताल यहाँ सहज ही देखी जा सकती है। इस सहजता के पीछे एक सुदीर्घ चिन्‍तन-परम्परा और गम्भीर विचार-प्रणाली का ठोस आधार है।

व्यापक विस्तार वाले इन निबन्धों में एक समाजशारत्री की चेतना और एक गम्भीर अध्येता का विवेक उपस्थित है। विवाह-संस्था, सामाजिक-पारिवारिक सम्बन्ध, लोकतंत्र के वातावरण में हो रहे कठिन बदलाव, शोषण का व्यापक होता दायरा, पर्यावरण की बदहाली, सामर्थ्यवान युवाओं और शक्तिमान मीडिया की सामजिक भूमिका, लोकतंत्र के वर्तमान और भविष्य को समझने-समझाने की यहाँ आवश्यक कोशिश की गई है।

वृद्ध होते लोगों और आधी दुनिया यानी औरतों की सामाजिक हैसियत की इतनी गहरी समीक्षा अन्यत्र दुर्लभ है। हम साफ़ देख सकते हैं कि लड़खड़ाते लोकतंत्र की हर बारीक डगमगाहट इन लेखों में अंकित है। इन्हीं बारीकियों और यथार्थ को नए दृष्टिकोण से देखने के कारण ये लेख एक स्थायी दस्तावेज़ का रूप ले लेते हैं।

किताब का शीर्षक 'समय के सुलगते सरोकार' अपनी सार्थकता इस तरह सिद्ध करता है कि इससे समय को देखने और उसमें सार्थक बदलाव लाने की एक चाबी मिलती है; साथ ही ख़ुद को परखने की एक कसौटी भी।

मुझे भरोसा है कि प्रस्तुत निबन्ध रास्ता देखते हुए, बोलते-बतियाते हुए देर तक और दूर तक मनुष्य को उसके सरोकारों की याद दिलाएँगे।

—बोधिसत्व

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, 1st Ed.
Pages 199p
Price ₹395.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Samay Ke Sulagte Sarokar -Hard Back
Your Rating
Sewaram Tripathi

Author: Sewaram Tripathi

सेवाराम त्रिपाठी

22 जुलाई, 1951 को ग्राम—जमुनिहाई, ज़िला—सतना (मध्य प्रदेश) में जन्म।

1970 से कविताएँ लिख रहे हैं। पहला कविता-संग्रह ‘अँधेरे के ख़िलाफ़' 1983 में और दूसरा ‘ख़ुशबू बाँटती हवा' 2016 में प्रकाशित। बघेली लोक-साहित्य और संस्कृति पर केन्द्रित पुस्तक ‘बघेली : अंतरंग-बहिरंग' 2016 में प्रकाशित। कविताओं के साथ आलोचना के क्षेत्र में कार्य। ‘मुक्तिबोध : संर्जक और विचारक' पुस्तक 2001 में प्रकाशित तथा मध्य प्रदेश साहित्य अकादेमी, भोपाल के ‘आचार्य नंददुलारे वाजपेयी पुरस्कार’ से सम्मानित। आलोचनात्मक-वैचारिक निबन्धों की पुस्तक ‘हर समय एक सपना जागता है' तथा समय, समाज और मीडिया पर केन्द्रित पुस्तक ‘समय के सुलगते सरोकार' 2019 में प्रकाशित।

1972 से 2016 तक मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विमाग में प्राध्यापक के रूप में कार्य। दो वर्ष तक मध्य प्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी, भोपाल में संचालक और संयुक्त संचालक के दायित्वों का निर्वहन।

'वसुधा' के बीस से अधिक अंकों में सह-सम्पादक तथा दस से अधिक पुस्तकों के सम्पादन-मंडल में।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top