Muktibodh : Sarjak Aur Vicharak

Edition: 2019, 1st Ed.
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Muktibodh : Sarjak Aur Vicharak
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उत्तर नेहरू-युग में जैसे-जैसे भारतीय लोकतंत्र जनहितों से निरपेक्ष होता गया है, वैसे-वैसे साहित्य मुखर रूप से लोकतंत्र के भीतर काम कर रही जन-विरोधी शक्तियों के कठोर आलोचक के रूप में सामने आया है। इसी क्रम में मुक्तिबोध की रचनाएँ और विचार हिन्दी में केन्‍द्रीय होते गए हैं। पारम्परिक रसवादी और रोमैंटिक आग्रहों के सामानान्तर आधुनिक साहित्य ने विचार और बौद्धिकता को केन्‍द्रीय महत्त्व दिया है। इस संघर्ष में मुक्तिबोध के रचनात्मक और वैचारिक प्रयासों की महती भूमिका है।

प्रो. सेवाराम त्रिपाठी की पुस्तक ‘मुक्तिबोध : सर्जक और विचारक', मुक्तिबोध का विवेचन-मूल्यांकन समग्रता से करती है। मुक्तिबोध की रचनात्मकता कविता, कहानी, उपन्यास, निबन्ध, आलोचना और पत्रकारिता तक फैली हुई है। इस पुस्तक का महत्त्व यह है कि वह मुक्तिबोध का अध्ययन करने के लिए सभी विधाओं को समेटती है। स्वाभाविक ही है कि ऐसे में लेखक ने मुक्तिबोध के सभी पक्षों पर विस्तृत विचार किया है।

सेवाराम त्रिपाठी ने प्रस्तुत पुस्तक में मुक्तिबोध की सर्जना में विचारधारा की भूमिका की पड़ताल की है। मुक्तिबोध हिन्‍दी रचनाशीलता में एक मुकम्मल और सुसंगत मार्क्सवादी थे। इसका गहरा प्रभाव विशेष रूप से कविता और आलोचना जैसी विधाओं पर पड़ा है। यह प्रभाव सामान्य न होकर जटिल है। लेखक ने पुस्तक में मुक्तिबोध में उपस्थित रचना और विचारधारा की अन्तःक्रिया पर गहन और सूक्ष्म विवेचन किया है।

प्रस्तुत संस्करण पुस्तक का दूसरा संस्करण है। इसमें ‘मुक्तिबोध : पुनश्च' शीर्षक से चार नए आलेख जोड़ दिए गए हैं। इन आलेखों में मूल अध्यायों में छूट गई कुछ महत्त्वपूर्ण बातें स्थान पा सकी हैं। पुस्तक न सिर्फ़ गम्‍भीर अध्येताओं की ज़रूरतों को पूरा करती है, बल्कि सामान्य विद्यार्थियों के लिए भी उपादेय है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, 1st Ed.
Pages 312p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
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Sewaram Tripathi

Author: Sewaram Tripathi

सेवाराम त्रिपाठी

22 जुलाई, 1951 को ग्राम—जमुनिहाई, ज़िला—सतना (मध्य प्रदेश) में जन्म।

1970 से कविताएँ लिख रहे हैं। पहला कविता-संग्रह ‘अँधेरे के ख़िलाफ़' 1983 में और दूसरा ‘ख़ुशबू बाँटती हवा' 2016 में प्रकाशित। बघेली लोक-साहित्य और संस्कृति पर केन्द्रित पुस्तक ‘बघेली : अंतरंग-बहिरंग' 2016 में प्रकाशित। कविताओं के साथ आलोचना के क्षेत्र में कार्य। ‘मुक्तिबोध : संर्जक और विचारक' पुस्तक 2001 में प्रकाशित तथा मध्य प्रदेश साहित्य अकादेमी, भोपाल के ‘आचार्य नंददुलारे वाजपेयी पुरस्कार’ से सम्मानित। आलोचनात्मक-वैचारिक निबन्धों की पुस्तक ‘हर समय एक सपना जागता है' तथा समय, समाज और मीडिया पर केन्द्रित पुस्तक ‘समय के सुलगते सरोकार' 2019 में प्रकाशित।

1972 से 2016 तक मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विमाग में प्राध्यापक के रूप में कार्य। दो वर्ष तक मध्य प्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी, भोपाल में संचालक और संयुक्त संचालक के दायित्वों का निर्वहन।

'वसुधा' के बीस से अधिक अंकों में सह-सम्पादक तथा दस से अधिक पुस्तकों के सम्पादन-मंडल में।

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