Sakaratmak Soch  

Author: C. S. Mishra
Edition: 2010, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Sakaratmak Soch

इस पुस्तक के मूल स्वरूप में ‘आत्मवत् सर्वभूतेषु’ की संजीवनी से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता हेतु परस्परता की कड़ी को ‘प्रबन्धन’ की चाबी से जोड़ने का अभूतपूर्व सोपान तैयार किया गया है।

आप पर सदैव के लिए, आपके अतीत का बोझ नहीं लादा जा सकता है। आपको यह विकल्प उपलब्ध है कि आप नकारात्मकता को पीछे छोड़ दें और सकारात्मकता को अपने साथ लेकर आगे चलें और यह अच्छा ही है कि कड़वी स्मृतियों को पीछे छोड़ दिया जाए। बोझ का नकारात्मक आकार असुरक्षा, निम्न आत्मसम्मान, भय, क्रोध, संशय आदि है। कभी-कभी वे आपके अवचेतन मन में इतने गहरे दबे हुए होते हैं कि उन्हें समूल उखाड़ फेंकना बड़ा कठिन होता है। यदि आप नकारात्मक दृष्टिकोण का बोझ उठाए चलते हैं, तो आपके ऐसा सोचने की प्रबल सम्भावना है कि अतीत में जो कुछ आपके साथ हुआ है, भविष्य में भी वैसा ही होगा। आज के चुनौती-भरे संसार में यह महत्त्वपूर्ण है कि आप में उत्साह हो और इससे भी ऊपर अपने जीवन के सभी पहलुओं के विषय में आपमें सकारात्मक चिन्तन हो। विचार-प्रबन्धन, अपने नकारात्मक चिन्तन को सकारात्मक चिन्तन में बदल देने के अलावा और कुछ नहीं है। यदि आपने नकारात्मक भावों और विचारों पर विजय पाने के लिए स्वयं को तैयार करने का निर्णय कर लिया है, तो इसके लिए समझो, आपने एक सही पुस्तक का चयन कर लिया है।

यह पुस्तक आपको अपने विचारों को नकारात्मक से हटकर सकारात्मक विचारों में परिवर्तित करने और उनका अच्छा प्रबन्धन करने के अनेक तरीक़े एवं भरपूर साधन प्रदान करती है।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2010
Edition Year 2010, Ed. 1st
Pages 128p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21.5 X 13.5 X 0.5
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Author: C. S. Mishra

सी.एस. मिश्र

रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक एवं मध्य प्रदेश वित्त आयोग के सदस्य रहे। एक प्रख्यात शिक्षाविद्, विद्वान और प्रभावशाली वक्ता ख्‍यात। उन्होंने उच्च स्तर पर सफल लोगों के व्यक्तित्व और विचार का गहरा अध्ययन भी किया। उनका दृढ़ विश्वास था—कोई भी आदमी अगर ठान ले कि उसे यह काम करना है, तो वह करके रहेगा। अपने व्याख्यानों में वे कार्य निष्पादन क्षमता के विकास हेतु श्रोताओं को चरणबद्ध ढंग से अभिप्रेरित करते थे। व्यक्तित्व विकास के नए आयामों की तलाश में डॉ. मिश्र की भूमिका उल्लेखनीय है।

निधन : 25 नवम्‍बर, 2020

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