‘‘इतिहास कथा-लेखन के दौरान इतिहास में साहसी-सामर्थ्यवान नारियों का अभाव मुझे रह-रहकर सालता था। एक प्रश्न हर बार उठता था कि मीराबाई, पन्नाधाय, हाडीरानी, कर्मवती आदि अँगुलियों पर गिनी जानेवाली नारियों के बाद, राजस्थान की उर्वरा भूमि बाँझ क्यों हो गई?’’ इस दिशा में खोज आरम्भ करने के चमत्कारी परिणाम निकले। एक-दो नहीं, दो दर्जन से भी अधिक नारी पात्र, इतिहास की गर्द झाड़ते मेरे सम्मुख जीवित हो उठे।
‘‘एक तवायफ के प्रेम में अनुरक्त हो, उसे जयपुर का आधा राज्य दे डालने वाले महाराजा जगतसिंह की इतिहासकारों ने भरपूर भर्त्सना की थी लेकिन वस्त्रों की तरह स्त्रियाँ बदलनेवाले अति कामुक महाराज का, एक हीन कुल की स्त्री में अनुरक्ति का ऐसा उफान, जो उसे पटरानी-महारानियों से पृथक, महल ‘रसविलास’ के साथ जयपुर का आधा राज्य प्रदान कर, अपने समान स्तर पर ला बैठाए, मात्र वासना का परिणाम नहीं हो सकता।’’
उपन्यास होते हुए भी रसकपूर अस्सी प्रतिशत इतिहास है, उपन्यास के सौ के लगभग पात्रों में केवल पाँच-सात नाम ही काल्पनिक हैं।
–भूमिका से...
Language | Hindi |
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Binding | Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2001 |
Edition Year | 2024, Ed. 5th |
Pages | 380p |
Price | ₹299.00 |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 18 X 12 X 2.5 |