Ram Prasad Bismil Ko Phansi V Mahavir Singh Ka Balidan

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Ram Prasad Bismil Ko Phansi V Mahavir Singh Ka Balidan-2
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शताब्दियों की पराधीनता के बाद भारत के क्षितिज पर स्वतंत्रता का जो सूर्य चमका, वह अप्रतिम था। इस सूर्य की लालिमा में उन असंख्य देशभक्तों का लहू भी शामिल था, जिन्होंने अपना सर्वस्व क्रान्ति की बलिवेदी पर न्योछावर कर दिया। इन देशभक्तों में रामप्रसाद बिस्मिल का नाम अग्रगण्य है। संगठनकर्ता, शायर और क्रान्तिकारी के रूप में बिस्मिल का योगदान अतुलनीय है। ‘काकोरी केस’ में बिस्मिल को दोषी पाकर फ़िरंगियों ने उन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया था। इस प्रकरण का दस्तावेज़ी विवरण प्रस्तुत पुस्तक को ख़ास बनाता है।

शहीद महावीर सिंह साहस व समर्पण की प्रतिमूर्ति थे। तत्कालीन अनेक क्रान्तिकारियों से उनके हार्दिक सम्बन्ध थे। इनका बलिदान ऐसी गाथा है, जिसे कोई भी देशभक्त नागरिक गर्व से बार-बार पढ़ना चाहेगा। पुस्तक पढ़ते समय रामप्रसाद बिस्मिल की ये पंक्तियाँ मन में गूँजती रहती हैं—‘सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है/देखना है ज़ोर कितना बाज़़ू-ए-क़ातिल में है।’ एक महत्‍त्‍वपूर्ण और संग्रहणीय पुस्तक।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2013
Edition Year 2013, Ed. 1st
Pages 287p
Translator Ramesh Kumar
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Malvender Jit Singh Waraich

Author: Malvender Jit Singh Waraich

मलवेन्दरजीत सिंह वढ़ैच

प्रो. मलवेन्दरजीत सिंह वढ़ैच का जन्म 1929 में गाँव लाधेवाला वढ़ैच, जिला गुजराँवाला में हुआ। आपने इतिहास, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र व समाजशास्त्र में एम.ए. तथा क़ानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। गुरु नानक इंजीनियरिंग कॉलेज, लुधियाना से सीनियर लेक्चरर के रूप में सेवानिवृत्त। आप चंडीगढ़ हाईकोर्ट में आपराधिक मामलों पर वकालत से भी जुड़े रहे हैं।

आत्मबलिदानी मदनलाल धींगरा और गदर विद्रोहियों के ख़ि‍लाफ़ लिए गए दो फ़ैसलों पर आधारित पुस्तक ‘वॉर अगेंस्ट किंग एम्प्रेरर-गदर ऑफ़ 1914-15’ के आप सह-लेखक हैं, इसके साथ-साथ आपने प्रसिद्ध छह गदर विद्रोहियों की आत्मकथाओं को भी सम्पादित किया तथा इनसे सम्बन्धित विषयों पर शोध में लगे हुए हैं।

 

 

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