Pratinidhi Kavitayen : Chandrakant Devtale

Edition: 2024, Ed. 5th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Pratinidhi Kavitayen : Chandrakant Devtale

चन्द्रकान्त देवताले की कविता के विषय-वस्तु संसार के ऐतिहासिक तथ्य मात्र नहीं हैं, एक अदम्य और अनवरत् जारी सृजनात्मक ऊर्जा के जादुई स्पर्श से ही चन्द्रकान्त इन विषयों का काव्य-रूपान्तरण करते हैं।

उनकी कविताओं में मौजूद लयों की विविधता के पीछे शिल्प-संयम या कौशल या नवाचार की ज़ाहिर चेष्टा की जगह एक तरह की रागाविष्ट स्वत:स्फूर्तता ही अधिक है। इसी वजह से उनके वस्तु-वर्णन भी किसी रैखिक वैचारिकता में विन्यस्त नहीं लगते।

वास्तव में उनकी कविता की पक्षधर वैचारिकता या उसकी प्रतिबद्धता का स्रोत मानव विवेक के आदिम संघर्ष और अपनी लोकोन्मुख सांस्कृतिक परम्परा में है।

उपभोग और उन्माद की सभ्यता के बेरोक प्रसार, राजनैतिक संस्कृति में लगातार जारी गिराव, शोषण, दमन और अन्याय को पालने-पोसनेवाली बाज़ारू रफ़्तार के विरुद्ध, ख़ालिस देसी सन्दर्भों के धधकते अनुभवों में वाग्मिता और बेबाकी से विन्यस्त चन्द्रकान्त देवताले की कविता कवि की पक्षधरता का एक मार्मिक और अविस्मरणीय दस्तावेज़ है।

चन्द्रकान्त देवताले की कविता श्रम के सम्मान और लोक-संस्कृति की स्मृतियों से ही अपनी मूल्य-चेतना को निरन्तर संस्कारित करती रही है। इसीलिए उनके यहाँ न तो भारतभूमि में जन्म लेने और जीने की गद्गद आत्ममुग्ध भारतीयता है और न ही ऐसी कोई महान विश्वदृष्टि जिसे पास-पड़ोस के रोज़मर्रे का दु:ख और अन्याय ही न दिखे।

चन्द्रकान्त देवताले की कविता का सार अगर करना ही हो, तो मुक्तिबोध के शब्दों में 'वह आवेगत्वरित कालयात्री है’।

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Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2013
Edition Year 2024, Ed. 5th
Pages 120p
Translator Not Selected
Editor Prabhat Tripathi
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 17.5 X 12 X 0.5
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Chandrakant Devtale

Author: Chandrakant Devtale

चन्द्रकान्त देवताले

जन्म : 7 नवम्बर 1936; जौलखेड़ा, ज़िला—बैतूल (मध्यप्रदेश) में।

शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी.।

कविता-संग्रह : ‘पहचान’ सीरीज़ में प्रकाशित ‘हड्ड‍ि‍यों में छिपा ज्वर’, ‘दीवारों पर ख़ून से’, ‘लकड़बग्घा हँस रहा है’, ‘रोशनी के मैदान की तरफ़’, ‘भूखंड तप रहा है’, ‘आग हर चीज़ में बताई गई थी’, ‘पत्थर की बैंच’, ‘इतनी पत्थर रोशनी’, ‘उसके सपने’ (विष्णु खरे-चन्द्रकान्‍त पाटील द्वारा सम्पादित संचयन), ‘बदला बेहद महँगा सौदा’ (नवसाक्षरों के लिए साम्प्रदायिकता विरोधी कविताएँ); ‘उजाड़ में संग्रहालय’ (कविता-संग्रह); ‘मुक्तिबोध : कविता और जीवन विवेक’ (आलोचना); सं. : ‘दूसरे-दूसरे आकाश’ (यात्रा-संस्मरण), सं. : ‘डबरे पर सूरज का बिम्ब’ (2002, मुक्तिबोध का प्रतिनिधि गद्य)।

समकालीन साहित्य के बारे में अनेक लेख, विचार-पत्र तथा टिप्पणियाँ प्रकाशित। मराठी से अनुवाद : ‘पिसाटी का बुर्ज : दिलीप चित्रे की कविताएँ’ (1987)। अंग्रेज़ी, मलयालम, मराठी से कविताओं के हिन्दी अनुवाद।

कविताओं के अनुवाद प्रायः सभी भारतीय भाषाओं और कई विदेशी भाषाओं में। अंग्रेज़ी, जर्मन, बंगला, उर्दू, कन्नड़ तथा मलयालम के अनुवाद-संकलनों में कविताएँ शामिल। लम्बी कविता ‘भूखंड तप रहा है’ तथा संकलन ‘उसके सपने’ का मराठी में अनुवाद। ‘आवेग’ के अतिरिक्त ‘त्रिज्या’, ‘वयम्’ तथा मराठी पत्रिका ‘नंतर’ से सम्बद्ध रहे। ब्रेख्त की कहानी सुकरात का घाव का नाट्य-रूपान्तरण।

सम्मान एवं सम्बद्धता : सृजनात्मक लेखन के लिए ‘मुक्तिबोध फ़ेलोशिप’ तथा ‘माखनलाल चतुर्वेदी कविता पुरस्कार’ से सम्मानित। वर्ष म.प्र. शासन का ‘शिखर सम्मान’। उड़ीसा की ‘वर्णमाला साहित्य संस्था’ द्वारा ‘सृजन भारती सम्मान’। ‘अखिल भारतीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’, ‘पहल सम्मान’।

‘म.प्र. साहित्य परिषद्’ के उपाध्यक्ष के अतिरिक्त ‘नेशनल बुक ट्रस्ट’, ‘राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन’, ‘केन्द्रीय हिन्दी संस्थान’ आदि के सदस्य। ‘केन्द्रीय साहित्य अकादेमी’ के भी सदस्य रहे।

1987 में भारतीय कवियों के प्रतिनिधि-दल के साथ अन्तरराष्ट्रीय प्रेमिओ लित्तेरारिओ मोंदेल्लो, पालेर्मो (इटली) साहित्य समारोह में शिरकत।

सम्प्रति : अतिथि साहित्यकार, ‘प्रेमचन्द सृजनपीठ’, उज्जैन—456010 (म.प्र.)।

निधन : 14 अगस्‍त, 2017

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