Prasad Ka Kavya-Hard Cover

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ISBN:9788171191338
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9788171191338
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समालोचक डॉ. प्रेमशंकर की एक बहुचर्चित पुस्तक है ‘प्रसाद के काव्य’।

प्रसाद के सन्दर्भ में ग़ौर करनेवाली बात यह है कि उनके काव्य को केन्द्र में रखकर लिखा गया यह पहला शोध-प्रयत्न था, और छायावादी कविता के उस महाकवि को लेखक ने भीतर-बाहर से गम्भीरतापूर्वक समझना चाहा था। प्रसाद एक संश्लिष्ट कवि हैं और उनके रचना-कर्म तक पहुँचने का कार्य सरल नहीं है। दूसरे शब्दों में, किसी भी अध्येता के लिए यह एक चुनौती है और समीक्षक के नाते प्रेमशंकर ने इस चुनौती को स्वीकार किया है। सौभाग्य से उन्हें आचार्य केशवप्रसाद मिश्र से 'कामायनी’ पढ़ने का अवसर मिला था, जिसे आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी के निर्देशन ने नया विस्तार दिया। यही कारण है कि यह कृति पिछले तीन दशकों से एक मानक-प्रयत्न के रूप में स्वीकृत है।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1994
Edition Year 2024 Ed. 4th
Pages 350p
Price ₹995.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 3
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Author: Premshankar

प्रेमशंकर

जन्म : सन् 1930 में नैमिश क्षेत्र के एक निम्न-मध्यवर्गीय ग्रामीण परिवार में। आरम्भिक शिक्षा डॉ. जयदेव सिंह की कृपा से। आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी के निर्देशन में ‘प्रसाद का काव्य’ विषय पर शोधकार्य।

लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज और सागर विश्वविद्यालय में अध्यापन। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनात्मक हिस्सेदारी। योरोप के कुछ विश्वविद्यालयों में व्याख्यान। इटली में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर के रूप में अध्यापन।

प्रमुख कृतियाँ : ‘प्रसाद का काव्य’, ‘कामायनी का रचना-संसार’, ‘हिन्दी स्वच्छन्दतावादी काव्य’, ‘भक्तिचिन्तन की भूमिका’, ‘भक्तिकाव्य की भूमिका’, ‘कृष्णकाव्य और सूर’, ‘रामकाव्य और तुलसी’, ‘भक्तिकाव्य की सांस्कृतिक चेतना’, ‘भक्तिकाव्य का समाजशास्त्र’, ‘सृजन और समीक्षा’, ‘आ. नन्ददुलारे वाजपेयी’, ‘नयी कविता की भूमिका’, ‘सियारामशरण गुप्त’ (आलोचना); ‘पहाड़ी पर बच्चा’ (कविता)।

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