Pablo Neruda : Ek Kaidi Ki Khuli Dunia

Author: Arun Maheshwari
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Pablo Neruda : Ek Kaidi Ki Khuli Dunia

पाब्लो नेरुदा जब 1971 में ‘नोबेल पुरस्कार’ लेने के लिए पेरिस से स्टाकहोम पहुँचे थे, उसी समय हवाई अड्डे पर ढेर सारे पत्रकारों में से किसी ने उनसे पूछा : ‘सबसे सुन्दर शब्द क्या है?’ इस पर नेरुदा ने कहा, ‘‘मैं इसका जवाब रेडियो के गाने की तरह काफ़ी फूहड़ ढंग से, एक ऐसे शब्द के ज़रिए देने जा रहा हूँ जो बहुत घिसा-पिटा शब्द है : वह शब्द है ‘प्रेम’। आप इसका जितना ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं, यह उतना ही ज़्यादा मज़बूत होता जाता है। और इस शब्द का दुरुपयोग करने में भी कोई नुक़सान नहीं है।’’

नेरुदा की ही एक पंक्ति है : ‘‘कितना संक्षिप्त है प्यार और भूलने का अरसा कितना लम्बा।’’

सिर्फ़ 23 वर्ष की उम्र में ही अपने संकलन ‘प्रेम की बीस कविताएँ और विषाद का एक गीत’ से विश्व प्रसिद्ध हो चुके प्रेम के कवि नेरुदा एक निष्ठावान कम्युनिस्ट थे। अपने जीवन में सकारात्मक बहुत कुछ को वे चिले की कम्युनिस्ट पार्टी की देन मानते थे। वे एक कवि और कम्युनिस्ट के अलावा एक राजदूत, दुनिया-भर में शरण के लिए भटकते राजनीतिक शरणार्थी, चिले के पार्लियामेंट में सीनेटर और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार भी थे। वे आम लोगों और सारी दुनिया के साहित्य-प्रेमियों के प्रिय रहे, तो समान रूप से हमेशा विवादों में भी घिरे रहे। उनकी कविता की तरह ही उनका समूचा जीवन कम आकर्षक नहीं रहा है।

यह पुस्तक प्रेम के कम्युनिस्ट कवि के सम्मोहक जीवन की बिना किसी अतिरंजना के एक प्रामाणिक तस्वीर पेश करती है। इसे पाब्लो नेरुदा पर हिन्दी में अपने ढंग की अकेली किताब कहा जा सकता है।

 

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Edition Year 2006
Pages 146p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
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Arun Maheshwari

Author: Arun Maheshwari

अरुण माहेश्वरी

मार्क्सवादी आलोचक, सामाजिक-आर्थिक विषयों के टिप्पणीकार एवं पत्रकार।

जन्म : 4 जून, 1951; विज्ञान में स्नातक के बाद दो वर्षों तक कोलकाता विश्वविद्यालय की सीढ़ियों पर क़ानून की पढ़ाई के लिए टहलक़दमी। छात्र जीवन से ही मार्क्सवादी राजनीति और साहित्य-आन्दोलन से जुड़ाव और सी.पी.आई.(एम.) के मुखपत्र ‘स्वाधीनता’ से सम्बद्ध। साहित्यिक पत्रिका ‘क़लम’ का सम्पादन। जनवादी लेखक संघ के केन्द्रीय सचिव एवं पश्चिम बंगाल के राज्य सचिव।

प्रमुख कृतियाँ : ‘साहित्य में यथार्थ : सिद्धान्त और व्यवहार’, ‘आर.एस.एस. और उसकी विचारधारा’, ‘नई आर्थिक नीति : कितनी नई’, ‘कला और साहित्य के सौन्दर्यशास्त्रीय मानदंड’, ‘जगन्नाथ’ (अनूदित नाटक); ‘जनतंत्र और समाजवाद की समस्याएँ’, ‘मानव विकास के दस विषय’, ‘एक और ब्रह्मांड’, ‘पाब्लो नेरुदा : एक क़ैदी की खुली दुनिया’, ‘पश्चिम बंगाल में मौन क्रान्ति’, ‘सिरहाने ग्राम्शी’, ‘हरीश भादानी’, ‘धर्म, संस्कृति और राजनीति’, ‘समाजवाद की समस्याएँ’ आदि।

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