Arun Maheshwari
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अरुण माहेश्वरी
मार्क्सवादी आलोचक, सामाजिक-आर्थिक विषयों के टिप्पणीकार एवं पत्रकार।
जन्म : 4 जून, 1951; विज्ञान में स्नातक के बाद दो वर्षों तक कोलकाता विश्वविद्यालय की सीढ़ियों पर क़ानून की पढ़ाई के लिए टहलक़दमी। छात्र जीवन से ही मार्क्सवादी राजनीति और साहित्य-आन्दोलन से जुड़ाव और सी.पी.आई.(एम.) के मुखपत्र ‘स्वाधीनता’ से सम्बद्ध। साहित्यिक पत्रिका ‘क़लम’ का सम्पादन। जनवादी लेखक संघ के केन्द्रीय सचिव एवं पश्चिम बंगाल के राज्य सचिव।
प्रमुख कृतियाँ : ‘साहित्य में यथार्थ : सिद्धान्त और व्यवहार’, ‘आर.एस.एस. और उसकी विचारधारा’, ‘नई आर्थिक नीति : कितनी नई’, ‘कला और साहित्य के सौन्दर्यशास्त्रीय मानदंड’, ‘जगन्नाथ’ (अनूदित नाटक); ‘जनतंत्र और समाजवाद की समस्याएँ’, ‘मानव विकास के दस विषय’, ‘एक और ब्रह्मांड’, ‘पाब्लो नेरुदा : एक क़ैदी की खुली दुनिया’, ‘पश्चिम बंगाल में मौन क्रान्ति’, ‘सिरहाने ग्राम्शी’, ‘हरीश भादानी’, ‘धर्म, संस्कृति और राजनीति’, ‘समाजवाद की समस्याएँ’ आदि।