आधुनिक कला आन्दोलन विश्व कला को आधुनिक बनाने के क्रम में हुए पश्चिमी कला आन्दोलनों पर आधारित पुस्तक है जिसमें सन् 1400 से 1965 तक, लगभग छह सौ वर्षों का कला-इतिहास है। दो खंडों में विन्यस्त इस पुस्तक का पहला खंड है—पश्चिमी कला आन्दोलन’ जिसमें पुनर्जागरणकालीन कला से लेकर अतियथार्थवादी कला आन्दोलन तक—सभी कला आन्दोलनों के जन्म की पृष्ठभूमि, प्रवृत्तिगत और शैलीगत वैशिष्ट्य की विवेचना है, साथ ही, लियोनार्दो दा विंची और माइकेल एंजेलो से वान गॉग, फ्रिदा काहलो, पिकासो और डाली तक, उन सभी प्रतिनिधि कलाकारों के अवदान का मूल्यांकन है जो उन आन्दोलनों में शामिल थे और जिनके प्रयत्नों से कला ने वैश्विकता पाई और आधुनिक दृष्टियों से उसका नवाचार हुआ।
पुस्तक के दूसरे खंड—आधुनिक भारतीय कला में बंगाल कला आन्दोलन जैसे पहले और एकमात्र भारतीय कला आन्दोलन सहित बाद में बने प्रभावी कला-समूहों का परिचयात्मक इतिवृत्त है। इसके साथ रवि वर्मा, अवनीन्द्रनाथ ठाकुर, नन्दलाल बोस और अमृता शेरगिल से हुसेन, रज़ा, सूज़ा और जगदीश स्वामीनाथन तक। उन सभी महत्त्वपूर्ण कलाकारों के वैशिष्ट्य का परिचय भी है जिन्होंने भारतीय कला को आधुनिक रूप दिया है। इस खंड में कला अकादमियों के गठन और प्रभाव का आकलन करने के साथ-साथ पुस्तक के उपसंहार में आधुनिक भारतीय कला में उपलब्धि के मानक बने उन कलाकारों की भी चर्चा है जो किसी समूह का हिस्सा नहीं रहे।
वस्तुत: यह पुस्तक हिन्दी में लिखित कला-इतिहास और आलोचना का वह जरूरी काम है जिसका लम्बे समय से अभाव था। निश्चय ही यह पुस्तक कला के साथ-साथ उन सभी अनुशासनों में रुचि रखनेवालों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी जो उन्हें उनके वैश्विक परिदृश्य के साथ समझना चाहते हैं।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 2023 |
Edition Year | 2023, Ed. 1st |
Pages | 400p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22.5 X 14.5 X 2.5 |