Kahaniyan Dusari Duniya Ki

Editor: Anita Gopesh
Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Kahaniyan Dusari Duniya Ki
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गोपीकृष्ण गोपेश ने नवम्बर 1956 से 1962 तक के अपने रूस प्रवास में रचनात्मक साहित्य (उपन्यास, कहानी, कविता आदि) ही नहीं बल्कि विज्ञान, शिक्षा व्यवस्था, ट्रेड यूनियन, श्रम और मजदूरी सम्बन्धी अनेक महत्त्वपूर्ण दस्तावे़ज़ों का भी रूसी से हिन्दी में अनुवाद किया। चूँकि वे स्वयं एक रचनाकार थे, उनके अनुवाद में भी एक रचनाकार के किए हुए अनुवाद हैं, जिसमें एक गहरी सांस्कृतिक सजगता है। उनके इन अनुवादों में वहाँ की सांस्कृतिक विविधता में एकता दर्शनीय है। अनूदित कथाकारों में शोलोखोव कज़ाक जीवन के रचनाकार हैं, तो फातिह निया़ज़ी, ताज़ि‍क जीवन के और ओल्गा मार्कोवा यूराल क्षेत्र के जीवन को उकेरती हैं। लेकिन इन कथाकृतियों को एक में बाँधने वाला तत्व वह सोवियत संस्कृति है जो संघ के अनेक गणराज्यों में साथ-साथ आकार ले रही थीं, ठीक अपने देश की संस्कृति की तरह ये कहानियाँ उस अतीत हो गए सपने की याद दिलाती है जिसे मनुष्यता ने एक सदी पहले देखा था। एक अनुवादक के रूप में गोपेश जी ने दो महान संस्कृतियों के बीच संवाद की वह भूमिका निभाई जो किसी सांस्कृतिक राजदूत की ही हो सकती है। इन कहानियों की सार्थकता उन स्मृतियों को संजोने में भी है जिन्हें ये अनुवाद प्रक्षेपित करते हैं। आज के भूमंडलीय स्मृति-युद्धों की दुनिया में इन कहानियों में प्रक्षेपित स्मृतियाँ बेहद बहुमूल्य हैं।

     —प्रो. प्रणय कृष्ण

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 168p
Translator Not Selected
Editor Anita Gopesh
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Gopikrishna Gopesh

Author: Gopikrishna Gopesh

गोपीकृष्ण गोपेश

जन्म : 11 नवम्बर, 1925

शिक्षा : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए., एम.ए. तथा शोधकार्य।

मौलिक रचनाएँ : किरण, धूप की लहरें (गीत-संग्रह); तुम्हारे लिए (कविता-संग्रह); अर्वाचीन और प्राचीन से परे (रेडियो नाटक); सोने की पत्तियाँ (विविध रचना-संग्रह)। पत्र-पत्रिकाओं में लेख एवं संस्मरण प्रकाशित। साथ ही अनेक कहानियों और उपन्यासों का रूसी तथा अंग्रेजी भाषा से हिन्दी में अनुवाद।

पुरस्कार : शोलोखोव के विश्व-प्रसिद्ध उपन्यास ‘तीखी दोन’ के चार खण्डों के हिन्दी अनुवाद ‘धीरे बहे दोन रे’ पर 1973 में सोवियत भूमि नेहरू अवार्ड से सम्मानित।

मृत्यु : 4 सितम्बर, 1974

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