Sadak Se Sansad Tak

Editor: Kumar Mukul
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(1) Reviews
Edition: 2023, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Sadak Se Sansad Tak
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लोहिया, जेपी, किशन पटनायक, रामानन्द तिवारी, कर्पूरी ठाकुर वाली परम्परा के ही नेता हैं शिवानंद तिवारी। जितना लम्बा उनका राजनीतिक जीवन है आज की राजनीति में कम लोगों का है। वे गैर-कांग्रेसी, गैर-भाजपाई राजनीति करते रहे हैं और सन् पैंसठ के पहले से सक्रिय हैं। बाबा के नाम से विख्यात शिवानन्द जी के पास अनुभव, किस्सों और प्रत्यक्ष देखी घटनाओं का सम्भवत: सबसे बड़ा खजाना है। वे साठ के दशक के आखिर में शुरू हुए अंग्रेजी हटाओ आन्दोलन वाले दौर से सक्रिय रहे हैं और चौहत्तर के जेपी आन्दोलन के अगुआ लोगों में हैं। उन्होंने किशन पटनायक के साथ लोहिया विचार मंच और समता संगठन की राजनीति की और उनसे अलग होकर भी उनकी वैचारिक और व्यावहारिक राजनीति के पाठ से अलग नहीं हुए। इन भाषणों और टिप्पणियों से उनके चिन्तन का दायरा और दिशा झलकती है। साफ लगता है कि भूमंडलीकरण और साम्प्रदायिक राजनीति उनकी चिन्ता के केन्द्र में है। शिवानंद जी के इन भाषणों में किसानों की आत्महत्या, बुनकरों की भुखमरी और आत्महत्या, पेटेंट रीजीम से होने वाली मुश्किलों और उसकी कानूनी लड़ाई, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की स्थिति, अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश द्वारा गरीबों का भोजन बढ़ाने से महँगाई आने के कुतर्क की आलोचना, किसानों के खेती छोड़ने पर टिप्पणी है। और इसमें से काफी चीजों के लिए नई आर्थिक नीतियों को दोषी बताया गया है। यह आलोचना सही थी और यह किताब का महत्त्व है क्योंकि भूमंडलीकरण के पूरे दौर में कहीं से संसद के अन्दर इन नीतियों की आलोचना नहीं हुई।

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Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 232p
Translator Not Selected
Editor Kumar Mukul
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Shivanand Tiwari

Author: Shivanand Tiwari

शिवानन्द तिवारी
शिवानन्द तिवारी का जन्म 9 दिसम्बर, 1943 को गाँव रामडिहरा, ज़िला भोजपुर, बिहार में हुआ।
1965 से ‘अंग्रेज़ी हटाओ आन्दोलन’ के कार्यकर्ता के रूप में राजनीति की शुरुआत हुई। किशन पटनायक के साथ लोहिया विचार मंच से जुड़े। 1980 में बैंगलोर सम्मेलन में समता संगठन के राष्ट्रीय संयोजक बनाए गए। 1965 में पटना के गांधी मैदान में कर्पूरी ठाकुर, रामानन्द तिवारी, का. चंद्रशेखर सिंह, रामअवतार शास्त्री आदि के साथ पहली बार पुलिस की लाठी खाई। 1970 में किसान दिवस के अवसर पर दिल्ली में गिरफ़्तारी और तिहाड़ जेल में लगभग एक सप्ताह; बिहार आन्दोलन में इमरजेंसी सहित तीन बार जेल यात्रा। 1996 में उपचुनाव में पहली बार पीरो विधानसभा से समता पार्टी के विधायक और 2000 में शाहपुर से राजद के विधायक रहे। राबड़ी मंत्रि‍मंडल के सदस्य। 2008 से 2014 तक समता पार्टी से राज्य सभा के सदस्य। 
सम्प्रति : राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय जनता दल।

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