O Fakira Maan Ja

Edition: 2022, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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O Fakira Maan Ja
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मन यायावर हो और तन की मजबूरी हो कि एक जरूरी रूटीन से खुद को बाँधे रखे तो यह एक दुखद विडम्बना है। लेकिन कहते हैं कि मन अगर अपनी कामनाओं के पार फैलता ही रहे, इच्छा हर रोज और बलवती होती जाए तो राहों की रुकावटों को भी राह आखिर देनी ही पड़ती है।

ये यात्राएँ ऐसे ही यायावर की हैं जिन्हें एक के बाद एक संयोगों ने वह दिया जो उनकी आत्मा चाहती थी यानी सफ़र, घुमक्कड़ी और अब वे यहाँ, इस किताब में, एक चितेरे यात्रावृत्तकार के रूप में उपस्थित हैं। जो उन्होंने देखा, जिनसे वे गुजरे उन्हें उतने ही जीते-जागते स्वरूप में हमारे सामने शब्दों में उकेरते हुए।

एशिया, यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के विभिन्न देशों की ये यात्राएँ सिर्फ पर्यटन-स्थलों का विवरण नहीं हैं, इतिहास, संस्कृति, समाज, साहित्य और राजनीति का पसमंजर इन वृत्तान्तों को एक सजीव, बहुआयामी लैंडस्केप बनाता है। पता ही नहीं चलता कि पढ़ते-पढ़ते आप कब इन अदेखी गलियों में टहलने लगे जो लेखक के भीतर अब भी अपने शोर और सन्नाटों के साथ जीवित हैं।

फ्रांस के राजा की सजा-ए-मौत, नेपोलियन की प्रेमिकाएँ, काफ्का की चिट्ठियाँ, अफ्रीकी नागरिकता वाले अपने को हिन्दुस्तानी बतानेवाले अफ्रीकी, चीन के मकाऊ के जुआघर, अमेरिका के कभी रिटायर न होने वाले और अस्सी से पहले सीनियर सिटीजन नहीं कहलाने वाले लोग, और इन सबको दर्ज करता एक भारतीय मन! इस सफरनामे को पढ़ना एक जीवन्त अनुभव से गुजरना है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 150p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
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Dayashankar Shukla Sagar

Author: Dayashankar Shukla Sagar

दयाशंकर शुक्ल सागर

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में जन्मे दयाशंकर शुक्ल सागर ‘दैनिक जागरण’, ‘हिन्दुस्तान’ और ‘अमर उजाला’ जैसे कई प्रतिष्ठित हिन्दी अखबारों के सम्पादक रहे हैं। पिछले 28 साल से पत्रकारिता में सक्रिय शुक्ल ‘इंडिया टुडे’ के सीनियर डिप्टी एडिटर रह चुके हैं। उनके लेख व निबन्ध ‘बीबीसी हिन्दी’, ‘इंडिया टुडे’, ‘हंस’ समेत देश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। सामाजिक सरोकार से जुड़ी पत्रकारिता में शुक्ल ने कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं।

दलितों-वंचितों के अधिकारों और उनकी पीड़ा, मनरेगा, भ्रष्टाचार, आतंकवाद से जुड़ी स्पेशल रिपोर्टों पर शुक्ल को तीन बार ‘केसी कुलिश इंटरनेशनल एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवार्ड’ से नवाजा जा चुका है। एक अवार्ड तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के हाथों नई दिल्ली में प्रदान किया गया। लखनऊ विश्वविद्यालय से

शिक्षा प्राप्त शुक्ल को ‘प्रभाष जोशी पत्रकारिता अवार्ड’ 2018 में मिला।

भारतीय सीमाओं पर हो रही तस्करी पर शुक्ल की एक खोजपरक रिपोर्ट अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर 2012 के जिनेवा कन्वेंशन में पेश की गई। शुक्ल ने लीडरशिप प्रोग्राम के तहत अमेरिका की प्रतिष्ठित जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी से लीडरशिप ट्रेनिंग सर्टिफिकेट प्राप्त किया है। एकेडमिक फैलोशिप के तहत कई देशों की यात्रा कर चुके शुक्ल की पुस्तक ‘महात्मा गांधी : ब्रह्मचर्य के प्रयोग’ काफी चर्चा में रही है। गांधी पर उनकी दूसरी चर्चित पुस्तक ‘अधनंगा फ़क़ीर’ हाल ही में छपी है। शुक्ल ने वाल्मीकि, कम्ब, कृत्तिवास व अन्य रामायणों पर आधारित ऑडियो बुक ‘रामकथा’ स्वीडन के ऑडियो प्लेटफॉर्म स्टोरीटेल के लिए लिखी है।

फिलहाल शुक्ल ‘अमर उजाला’, देहरादून के रेजिडेंट एडिटर के रूप में कार्यरत हैं।

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