Nirmala : Patkatha-Hard Cover

Author: Mannu Bhandari
Special Price ₹335.75 Regular Price ₹395.00
You Save 15%
ISBN:9788183618908
In stock
SKU
9788183618908
- +

‘निर्मला' प्रेमचन्द का सुपरिचित उपन्यास है जिस पर एकाधिक बार टीवी धारावाहिक और फ़िल्मों का निर्माण हो चुका है। मन्नू भंडारी लिखित इस उपन्यास की यह पटकथा हिन्दी टेलीविज़न के दर्शकों को दूरदर्शन के उन दिनों में वापस ले जाएगी जब इस सरकारी चैनल ने एक से एक क्लासिक धारावाहिक प्रस्तुत किए थे। यह वह दौर था जब हिन्दी के नामचीन लेखकों ने दूरदर्शन के स्तरीय धारावाहिकों के लेखन में बड़ा योगदान दिया और हमारे सामने ‘तमस’, ‘मालगुडी डेज़’, ‘कक्काजी कहिन’, ‘राग दरबारी’ और ‘निर्मला’ जैसे धारावाहिक आए। यह दूरदर्शन और भारतीय टेलीविज़न का मनोरंजन के क्षेत्र में स्वर्णकाल था।

‘निर्मला’ उसी समय का धारावाहिक है जिसका स्क्रीनप्ले हिन्दी की लोकप्रिय और बहुपठित कहानीकार मन्नू भंडारी ने लिखा। ‘निर्मला' एक मध्यवर्गीय युवती की कथा है जो दुर्दैव के चलते आजीवन कष्ट में रही और अन्ततः कष्ट के अतिरेक में ही इस दुनिया को विदा कह गई। लेकिन उसके जीवन की दारुण यात्रा का आरम्भ और अन्त पारम्परिक भारतीय समाज में प्रचलित स्त्री-जीवन के प्रति नज़रिए में है, जहाँ माना जाता रहा है कि लड़की सयानी हो गई है तो उसका समय रहते विवाह सबसे महत्त्वपूर्ण सामाजिक कार्य है जिसे हर हाल में हो जाना है। इसी के चलते निर्मला को पहले दहेज का और फिर बेमेल विवाह का शिकार होना पड़ता है। विवाह उससे कहीं बड़ी आयु के जिस व्यक्ति से होता है, उसके तीन बच्चे हैं। परिणाम क़िस्म-क़िस्म की मानसिक जटिलताएँ और संघर्ष पैदा होते हैं और अन्ततः पूरा परिवार बिखर जाता है। बचे रह जाते हैं विधुर तोताराम।

मन्नू जी ने एक स्त्री की निगाह से देखते हुए जिस तरह इस कहानी को कहा, उसने उनके नज़रिए को अत्यन्त परिपक्व रूप में परदे पर रूपायित किया था। मन्नू जी उन चुनिन्दा लेखकों में रही हैं जिन्हें शब्दों के साथ दृश्यों में भी अपनी बात कहने का हुनर आता है। ‘निर्मला’ उसका बेजोड़ उदाहरण है। यहाँ बता दें कि मन्नू जी ने इसके अलावा भी बड़े और छोटे पर्दे के लिए लेखन किया और उनकी कहानियों और उपन्यासों पर भी फ़िल्में और टी.वी. फ़िल्में बनती रही हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 159p
Price ₹395.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Nirmala : Patkatha-Hard Cover
Your Rating
Mannu Bhandari

Author: Mannu Bhandari

मन्नू भंडारी

भानपुरा, मध्य प्रदेश में 3 अप्रैल, 1931 को जन्मी मन्नू भंडारी को लेखन-संस्कार पिता श्री सुखसम्पतराय से विरासत में मिले। स्नातकोत्तर के उपरान्त लेखन के साथ-साथ वर्षों दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस में हिन्दी का अध्यापन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में ‘प्रेमचन्द सृजनपीठ’ की अध्यक्ष भी रहीं।

‘आपका बंटी’ और ‘महाभोज’ आपकी चर्चित औपन्यासिक कृतियाँ हैं। अन्य उपन्यास हैं ‘एक इंच मुस्कान’ (राजेन्द्र यादव के साथ) तथा ‘स्वामी’। ये सभी उपन्यास ‘सम्पूर्ण उपन्यास’ शीर्षक से एक जिल्द में भी उपलब्ध हैं।

आपके कहानी-संग्रह हैं—‘एक प्लेट सैलाब’, ‘मैं हार गई’, ‘तीन निगाहों की एक तस्वीर’, ‘यही सच है’, ‘प्रतिनिधि कहानियाँ’ तथा सभी कहानियों का समग्र ‘सम्पूर्ण कहानियाँ’। ‘एक कहानी यह भी’ आपकी आत्मकथ्यात्मक पुस्तक है जिसे आपने अपनी 'लेखकीय आत्मकथा’ कहा है। ‘निर्मला’ और ‘रजनीगंधा’ आपकी पटकथा पुस्तकें हैं। ‘महाभोज’, ‘बिना दीवारों के घर’, ‘उजली नगरी चतुर राजा’ नाट्य-कृतियाँ तथा बच्चों के लिए पुस्तकों में प्रमुख हैं—‘आसमाता’ (उपन्यास), ‘आँखों देखा झूठ’, ‘कलवा’ (कहानी) आदि।

आप 'व्यास सम्मान’, 'शिखर सम्मान’ (हिन्दी अकादमी, दिल्ली), 'शब्द साधक शिखर सम्मान’ आदि से सम्मानित की जा चुकी हैं।

निधन : 15 नवम्बर, 2021

Read More
Books by this Author
Back to Top