Rajnigandha : Patkatha

Edition: 2024, Ed. 2nd
Language: English
Publisher: Radhakrishna Prakashan
15% Off
Out of stock
SKU
Rajnigandha : Patkatha

मन्नू भंडारी की प्रसिद्ध कहानी ‘यही सच है’ और उस पर आधारित बासु चटर्जी की फ़िल्म ‘रजनीगंधा’। इन दोनों रचनाओं ने अपने-अपने क्षेत्र में इतिहास रचा था। ‘यही सच है’ अपनी जटिल भावभूमि और सघन संवेदना के चलते जहाँ हिन्दी की उत्कृष्ट कहानियों में शुमार हुई और बड़े पैमाने पर प्रशंसित-चर्चित होती हुई आज भी अपनी प्रासंगिकता में अडिग है, वहीं ‘रजनीगंधा’ फ़िल्म ने हिन्दी सिनेमा के कलात्मक और कॉमर्शियल विभाजन को शायद पहली बार ख़त्म किया और एक अत्यन्त संवेदनशील विषय को बेहद बारीकी से फ़िल्माते हुए लोकप्रियता के मानदंड स्थापित किए।

उल्लेखनीय है कि ‘रजनीगंधा’ शायद अकेली ऐसी फ़िल्म है जिसे फ़िल्मफेयर के ‘पब्लिक’ और ‘क्रिटीक’, दोनों अवार्ड मिले।

‘रजनीगंधा’ की यह पटकथा सिनेप्रेमियों को एक बार पुन: अपनी स्मृतियों में बसी उस फ़िल्म के साथ होने का अहसास देगी और फ़िल्म में देखे अपने प्रिय पात्रों-दृश्यों को भाषा के टकराव में ज्‍़यादा निकट से देखने और समझने का अवसर उपलब्ध कराएगी।

More Information
Language English
Binding Hard Back
Publication Year 2009
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 128p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 15 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Rajnigandha : Patkatha
Your Rating
Mannu Bhandari

Author: Mannu Bhandari

मन्नू भंडारी

भानपुरा, मध्य प्रदेश में 3 अप्रैल, 1931 को जन्मी मन्नू भंडारी को लेखन-संस्कार पिता श्री सुखसम्पतराय से विरासत में मिले। स्नातकोत्तर के उपरान्त लेखन के साथ-साथ वर्षों दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस में हिन्दी का अध्यापन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में ‘प्रेमचन्द सृजनपीठ’ की अध्यक्ष भी रहीं।

‘आपका बंटी’ और ‘महाभोज’ आपकी चर्चित औपन्यासिक कृतियाँ हैं। अन्य उपन्यास हैं ‘एक इंच मुस्कान’ (राजेन्द्र यादव के साथ) तथा ‘स्वामी’। ये सभी उपन्यास ‘सम्पूर्ण उपन्यास’ शीर्षक से एक जिल्द में भी उपलब्ध हैं।

आपके कहानी-संग्रह हैं—‘एक प्लेट सैलाब’, ‘मैं हार गई’, ‘तीन निगाहों की एक तस्वीर’, ‘यही सच है’, ‘प्रतिनिधि कहानियाँ’ तथा सभी कहानियों का समग्र ‘सम्पूर्ण कहानियाँ’। ‘एक कहानी यह भी’ आपकी आत्मकथ्यात्मक पुस्तक है जिसे आपने अपनी 'लेखकीय आत्मकथा’ कहा है। ‘निर्मला’ और ‘रजनीगंधा’ आपकी पटकथा पुस्तकें हैं। ‘महाभोज’, ‘बिना दीवारों के घर’, ‘उजली नगरी चतुर राजा’ नाट्य-कृतियाँ तथा बच्चों के लिए पुस्तकों में प्रमुख हैं—‘आसमाता’ (उपन्यास), ‘आँखों देखा झूठ’, ‘कलवा’ (कहानी) आदि।

आप 'व्यास सम्मान’, 'शिखर सम्मान’ (हिन्दी अकादमी, दिल्ली), 'शब्द साधक शिखर सम्मान’ आदि से सम्मानित की जा चुकी हैं।

निधन : 15 नवम्बर, 2021

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top