Naye Jan-Sanchar Madhyam Aur Hindi

Edition: 2008, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
15% Off
Out of stock
SKU
Naye Jan-Sanchar Madhyam Aur Hindi

नए जन-संचार माध्यमों में हिन्दी का प्रयोग बढ़ रहा है। हर प्रक्रिया में माध्यम बदल रहे हैं, हिन्दी भी बदल रही है। नए रूप बन रहे हैं। माध्यमों में भाषा ने स्वयं एक संचार किया है।

बदलती भाषा संचार की अनन्त अन्तर्क्रियाओं को जन्म दे रही है। हिन्दी के सामने नई चुनौतियाँ उपस्थित हैं और उतनी ही चुनौतियाँ माध्यमकर्मियों के सामने हैं।

बी.बी.सी. ने नए जन-संचार माध्यमों में हिन्दी के स्वरूप को लेकर इसीलिए एक राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया। सेमिनार की सामग्री इस किताब में पाठकों के लिए उपलब्ध है।

यहाँ पाठकों को पहली बार बी.बी.सी. वेबसाइट की ‘स्टाइल बुक’ का परिचय मिलेगा। मीडिया का हिन्दी शब्दकोश होना चाहिए; एक पदावली कोश भी—इस तरफ़ कुछ इशारे यहाँ दिए गए हैं।

उम्मीद है कि यह किताब नए जन-संचार माध्यमों के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2002
Edition Year 2008, Ed. 2nd
Pages 124p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Naye Jan-Sanchar Madhyam Aur Hindi
Your Rating
Sudhish Pachauri

Author: Sudhish Pachauri

सुधीश पचौरी

जन्म : 29 दिसम्‍बर, 1948; अलीगढ़ (उ.प्र.)।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्‍दी, आगरा विश्वविद्यालय), पीएच.डी. एवं पोस्ट डॉक्टोरल शोध (हिन्‍दी, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली)।

मार्क्सवादी समीक्षक, प्रख्यात स्तम्‍भकार, मीडिया-विशेषज्ञ। ‘भारतेन्‍दु हरिश्चन्‍द्र पुरस्कार’, ‘सुब्रह्मण्‍य भारती पुरस्‍कार ’, ‘रामचंद्र शुक्ल सम्मान’ (मध्यप्रदेश साहित्य परिषद), ‘साहित्यकार सम्मान’ (हिन्‍दी अकादमी, दिल्‍ली) आदि से सम्मानित।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘नई कविता का वैचारिक आधार’, ‘कविता का अन्‍त’, ‘दूरदर्शन की भूमिका’, ‘दूरदर्शन : स्वायत्तता और स्वतंत्रता’ (सं.), ‘उत्तर-आधुनिकता और उत्तर-संरचनावाद’, ‘नवसाम्राज्यवाद और संस्कृति’, ‘दूरदर्शन : दशा और दिशा’, ‘नामवर के विमर्श’ (सं.), ‘दूरदर्शन : विकास से बाज़ार तक’, ‘उत्तर-आधुनिक साहित्यिक विमर्श’, ‘मीडिया और साहित्य’, ‘उत्तर-केदार’ (सं.), ‘देरिदा का विखंडन और साहित्य’, ‘साहित्य का उत्तरकांड : कला का बाज़ार’, ‘टीवी टाइम्स’, ‘इक्कीसवीं सदी का पूर्वरंग’, ‘अशोक वाजपेयी : पाठ-कुपाठ’, ‘प्रसार भारती और प्रसारण-परिदृश्य’, ‘साइबर-स्पेस और मीडिया’, ‘स्त्री देह के विमर्श’, ‘आलोचना से आगे’, ‘हिन्दुत्व और उत्तर-आधुनिकता’, ‘ब्रेक के बाद’, ‘पॉपूलर कल्चर’, ‘फासीवादी संस्कृति और सेकूलर पॉप-संस्कृति’, ‘साहित्य का उत्तर-समाजशास्त्र’, ‘विभक्ति और विखंडन’, ‘नए जनसंचार माध्यम और हिन्दी’, ‘भाषा और साहित्य’, ‘निर्मल वर्मा और उत्तर-उपनिवेशवाद’, ‘मीडिया, जनतंत्र और आतंकवाद’।

सम्‍प्रति : दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्‍दी विभाग के प्रोफ़ेसर श्री पचौरी को दिल्ली विश्वविद्यालय में 'डीन ऑफ़ कॉलेज' भी बनाया गया है।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top