तिब्बतवालों से मैं कुछ ज्यादा निश्चिन्त था, क्योंकि मैं जानता था कि वह चार-पाँच सौ बरस पुरानी दुनिया में रह रहे हैं। सिर से हजारों मन का बोझ उतरा-सा गया मालूम हुआ। शायद प्राकृतिक सौन्दर्य कुछ और पीछे ही से शुरू हो गया था, लेकिन अब तक मेरी आँखें उसके लिए बन्द-सी थीं, अब मैं आँख भर के पार्वत्य-सौन्दर्य की ओर देखता था।
—इसी पुस्तक से
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 2021 |
Edition Year | 2024, Ed. 5th |
Pages | 216p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 21.5 X 14 X 1 |