Mere Priya

Translator: Prabhat Ranjan
Editor: Ashok Vajpeyi
Edition: 2019, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Mere Priya
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रज़ा साहब जब 2010 के अन्त में अपने जीवन का आख़िरी चरण बिताने दिल्ली आ गए तो अपने साथ पुस्तकों, कैटलॉगों व अन्य काग़ज़ात का एक बड़ा संग्रह भी लाए। इस सारी सामग्री को एकत्र और व्यवस्थित कर रज़ा अभिलेखागार बनाया जा रहा है। जो काग़ज़ात हमें मिले उनमें रज़ा के कलाकार-मित्रों के कई पत्र भी मिले हैं। इनमें मक़बूल फिदा हुसेन, फ्रांसिस न्यूटन सूज़ा, के.एच. आरा, रामकुमार, कृष्ण खन्ना और तैयब मेहता शामिल हैं। उनके पत्राचार में निजी, कलात्मक, सामाजिक आदि कई विषयों पर लिखा गया है और उन्हें पढ़ने से एक मूर्धन्य कलाकार की संघर्ष-गाथा के कई पहलू समझ में आते हैं। उस परिवेश, उन मित्रों और उनके सम्बन्धों पर भी रोशनी पड़ती है जिन्होंने रज़ा को एक व्यक्ति और कलाकार के रूप में विकसित होने में भूमिका निभाई। यह एक तरह का अनौपचारिक रिकॉर्ड भी है जो हमें बताता है कि हमारे कुछ कला-मूर्धन्य अपने समय कैसे देख-समझ रहे थे, उनकी उत्सुकताएँ और बेचैनियाँ क्या थीं और एक विकासशील सौन्दर्य-बोध कैसे आकार ले रहा था।

इस पत्राचार को क्रमश: कुछ पुस्तकों में प्रकाशित करने का इरादा है। इस सीरीज़ में पहली पुस्तक रज़ा और कृष्ण खन्ना के पत्राचार की है। सौभाग्य से इन दोनों ने एक-दूसरे के पत्र सँभालकर रखे। दो मूर्धन्य कलाकारों के बीच यह पत्र-संवाद बिरला है और इसे हिन्दी अनुवाद में प्रकाशित करते हमें प्रसन्नता है।

—अशोक वाजपेयी

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 259p
Translator Prabhat Ranjan
Editor Ashok Vajpeyi
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2.5
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Syed Haider Raza

Author: Syed Haider Raza

सैयद हैदर रज़ा

22 फ़रवरी, 1922 को मध्य प्रदेश के मंडला ज़िले के बाबरिया गाँव में जन्मे सैयद हैदर रज़ा 1950 से ही पेरिस में रहते थे। वे आधुनिक भारतीय कला के एक शीर्षस्थानीय शख़्सियत माने जाते रहे।

उन्होंने आरम्भिक कला-शिक्षा नागपुर और बम्बई में पाई और बाद में वे एक छात्रवृत्ति पाकर पेरिस गए। वे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप के संस्थापकों में से एक रहे। उनकी कलाकृतियाँ फ्रांस, भारत, जर्मनी, नार्वे, अमरीका, इज़रायल, जापान, इंग्लैंड आदि देशों के सुप्रतिष्ठित संग्रहालयों में हैं।

उन पर अनेक श्रेष्ठ विशेषज्ञों जैसे रूडी वान लेडन, पियरे गोदिबेयर, गीति सेन, जाक लासें, मिशेल एम्बेयर आदि ने पुस्तकें, मोनोग्राफ़ आदि लिखे हैं।

उन्हें ‘पद्मश्री’, ललित कला अकादेमी की ‘महत्तर सदस्यता’ और फ़्रेंच सरकार के सम्मान ‘ग्रेड ऑव आफ़िसर ऑव द ऑर्डर आर्टस एंड लैटर्स’ से विभूषित किया गया।

निधन : 23 जुलाई, 2016

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