मक़बूल एक लीकपीटी जीवनी नहीं, एक बेमिसाल जवाँमर्द बुज़ुर्ग कलाकार के बचपन, लड़कपन और इब्तदाई जवानी की अनूठी कहानी है। इसमें कविता की सी साफ़-शफ़्फ़ाफ़ रवानी है, परिन्दाना परवाज़ है, रसीला अन्दाज़ है। अखिलेश ने इसे तारीख़ों और तथ्यों के बोझ से आज़ाद कर जो बहाव दिया है, उसमें से मक़बूल की मासूम और शरारती सूरत भी ख़ूब उभरती है और हुसेन की जादूगरी और कारीगरी का आभास भी अपनी बास लिये हम तक पहुँचता है। इस कृति में ‘जादुई’ विशेषण कई बार प्रयुक्त हुआ है; यही विशेषण इस कृति के लिए, जिसे हुसेन के एक ‘रसिए’ ने रचा है, मुझे मौजूँ नज़र आता है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Edition Year | 2010 |
Pages | 96p |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 21 X 21 X 1.5 |