Manto Dastavej : Vols. 1-5-Paper Back

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ISBN:9788126728756
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समय के साथ कितनी ही हक़ीक़तें फ़रेब बन जाती हैं और कितने ही ख़्वाब सच्चाई में ढल जाते हैं—समय न तो अँधेरों की निरन्तरता है, न इतिहास और सभ्यता के किसी अनदेखे रास्ते पर एक अंधी दौड़।

इन सबके विपरीत समय एक तलाश है, बोध है, विज़न है और एक कर्मभूमि।

समय की कोई सीमा अगर क़ायम की जा सकती है, और अगर उसे एक नाम दिया जा सकता है तो वह नाम ‘आदमी’ है।

आदमी की बुनियादी समस्या पाषाण युग से मंटो और मंटो के पात्रों तक, एक ही रही है : कोई रौशनी, कोई रौशनी...

रौशनी के लिए, नई रौशनी की ख़ातिर, नित नई रौशनी की तलाश में आदमी ने सदियों का सफ़र तै किया और आज भी सफ़र में है। इसी निरन्तर और अधूरे सफ़र का एक पड़ाव मंटो है।

मंटो की तलाश और खोज के हवाले से इस कोशिश का मुनासिब और सटीक नाम ‘दस्तावेज़’ के अलावा सोचा भी नहीं जा सकता।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1993
Edition Year 2023, Ed. 7th
Pages 1955p
Price ₹3,000.00
Translator Not Selected
Editor Balram Menra and Sarat Dutt
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 14
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Author: Saadat Hasan Manto

सआदत हसन मंटो

सआदत हसन मंटो का जन्म 11 मई, 1912 को समराला, पंजाब में हुआ था। 1931 में मैट्रिक करने के बाद आगे की पढ़ाई अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से की। मंटो फ़िल्म और रेडियो पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे। मंटो की कहानियों की पिछली सदी से अब तक जितनी चर्चा हुई है, उतनी उर्दू और हिन्दी क्या, दुनिया की किसी भी भाषा के कथाकार की शायद ही हुई हो। यही कारण कि चेख़व के बाद मंटो ही थे, जिन्होंने अपनी कहानियों के दम पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में सफलता हासिल की।

उनकी प्रसिद्ध कहानियों में ‘ठंडा गोश्त’, ‘टोबा टेक सिंह’, ‘काली शलवार’, ‘मोज़ेल’, ‘दस रुपये’ आदि शामिल हैं। उनके कुछ कहानी-संग्रहों के अलावा एक उपन्यास, रेडियो नाटकों के पाँच संग्रह, निबन्धों के तीन संग्रह, और व्यक्तिगत स्केच के दो संग्रह प्रकाशित हैं।

कहानियों में अश्लीलता के आरोप की वजह से मंटो को छह बार अदालत जाना पड़ा था, जिसमें से तीन बार पाकिस्तान बनने से पहले और तीन बार पाकिस्तान बनने के बाद, लेकिन एक भी बार मामला साबित नहीं हो पाया। मंटो की कई कहानियों का अनुवाद दुनिया की विभिन्न भाषाओं में किया जा चुका है। मंटो की सम्पूर्ण रचनाओं का संग्रह राजकमल प्रकाशन से ‘सआदत हंसन मंटो : दस्तावेज़’ नाम से पाँच खंडों में प्रकाशित है।

निधन : 18 जनवरी, 1955

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