Mahadevi Varma Ke Kavya Mein Saundarya-Bhavana

Out of stock
Only %1 left
SKU
Mahadevi Varma Ke Kavya Mein Saundarya-Bhavana

छायावादी काव्य के विकास में महादेवी वर्मा का योगदान अप्रतिम है। वे अपने समय के कवियों में एक अलौकिक भावजगत का सृजन कर छायावादी काव्य-धारा को एक नई सौन्दर्य-दृष्टि प्रदान करती हैं। यही कारण है कि उन्हें छायावादी काव्य-धारा में रहस्यवादी भाव-धारा का प्रमुख कवि माना जाता है। सर्वथा नए उपमान, अमूर्तन, लाक्षणिकता, प्रतीक, बिम्ब उनके काव्य को लालित्य-योजना की दृष्टि से एक ऐसा आयाम प्रदान करते हैं जो छायावादी कवियों में उनकी अपनी अलग पहचान बनाता है।

प्रस्तुत ग्रन्थ में लेखक ने महादेवी वर्मा की सौन्दर्य-दृष्टि से बचकर लेखक ने भारतीय और पाश्चात्य सौन्दर्यशास्त्र के ज्ञान का गम्भीर उपयोग किया है। यही कारण है कि प्रस्तुत पुस्तक महादेवी वर्मा के काव्य-विवेचन में नई दृष्टि का समावेश कर सकी है। शास्त्रीय और समसामयिक काव्यालोचन में प्रस्तुत पुस्तक का सुनिश्चित योगदान है।

 

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1989
Edition Year 2013, Ed. 2nd
Pages 272p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Mahadevi Varma Ke Kavya Mein Saundarya-Bhavana
Your Rating

Author: Govind Pal Singh

गोविन्द पाल सिंह

डॉ. गोविन्द पाल सिंह एस.आर.के.कॉलेज फिरोजाबाद के हिंदी विभाग में प्रवक्ता थे. इन्होने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की

Read More
Books by this Author
Back to Top