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Author: Giriraj Kishore
Edition: 2013, Ed. 3rd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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‘लोग’ सुप्रसिद्ध कथाकार गिरिराज किशोर का चर्चित उपन्यास है। इसमें एक संक्रमणशील समय का अत्यन्त प्रभावी व रोचक चित्रण है। लेखक के शब्दों में, “देश का स्वतंत्र होना लगभग निश्चित हो गया था। नई सामाजिक प्रवृत्तियाँ और शक्तियाँ अपना स्थान बना रही थीं। उस समय का अभिजात वर्ग अपने-आपको डूबता हुआ महसूस करने लगा, आर्थिक स्तर पर ही नहीं, सामाजिक एवं मान्यताओं के स्तर पर भी। उस वर्ग से सम्बद्ध हर एक वर्ग के ‘लोग’ अपने-आपको ‘छूट-गया’ हुआ-सा महसूस कर रहे थे। उन लोगों के मन में इस नए परिवर्तन के प्रति अरक्षा, मूल्यहीनता, संस्कार-हीनता, उच्छृंखलता, विघटन आदि सब प्रकार की आशंकाएँ थीं। अंग्रेज़ों का जाना उस ‘पूरे' वर्ग के व्यक्तिहीन हो जाने की सूचना थी। उनमें से कुछ बदलते हुए सन्दर्भों के अनुरूप अपने को ढाल पाने में असमर्थ रहे। वे ही ‘लोग’ यहाँ
हैं।”

यह उपन्यास वस्तुत: आत्ममूल्यांकन और सामाजिक विश्लेषण की समेकित प्रक्रिया को रेखांकित करता है। कथारस और पठनीयता के गुणों से ओत-प्रोत एक महत्त्वपूर्ण उपन्यास।

 

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 1996
Edition Year 2013, Ed. 3rd
Pages 176p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Giriraj Kishore

Author: Giriraj Kishore

गिरिराज किशोर

जन्म : 1937, मुज़फ़्फ़रनगर (उ.प्र.)। शिक्षा : एम.एस.डब्ल्यू.। 1995 में दक्षिण अफ्रीका एवं मॉरीशस की यात्रा। प्रकाशित कृतियाँ : ‘बा’, ‘लोग’, ‘चिड़ियाघर’, ‘जुगलबन्दी’, ‘दो’, ‘तीसरी सत्ता’, ‘दावेदार’, ‘यथा-प्रस्तावित’, ‘इन्द्र सुनें’, ‘अन्तर्ध्वंस’, ‘परिशिष्ट’, ‘यात्राएँ’, ‘ढाईघर’, ‘गिरमिटिया’ (उपन्यास); ‘नीम के फूल’, ‘चार मोती बेआब’, ‘पेपरवेट’, ‘रिश्ता और अन्य कहानियाँ’, ‘शहर-दर-शहर’, ‘हम प्यार कर लें’, ‘गाना बड़े गुलाम अली खाँ का’, ‘जगत्तारणी’, ‘वल्दरोजी’, ‘आन्द्रे की प्रेमिका और अन्य कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह); ‘नरमेध’, ‘घास और घोड़ा’, ‘प्रजा ही रहने दो’, ‘जुर्म आयद’, ‘चेहरे-चेहरे किसके चेहरे’, ‘केवल मेरा नाम लो’, ‘काठ की तोप’ (नाटक); ‘ग़ुलाम-बेगम-बादशाह’ (एकांकी-संग्रह); ‘कथ-अकथ’, ‘लिखने का तर्क’, ‘संवाद सेतु’, ‘सरोकार’ (निबन्‍ध-संग्रह)। सम्मान : हिन्दी संस्थान उत्तर प्रदेश का नाटक पर 'भारतेन्दु पुरस्कार’; मध्य प्रदेश साहित्य परिषद का ‘परिशिष्ट’ उपन्यास पर 'वीरसिंह देव पुरस्कार’; उत्तर प्रदेश हिन्दी सम्मेलन द्वारा 'वासुदेव सिंह स्वर्ण पदक’; 1992 का 'साहित्य अकादेमी पुरस्कार’; 'ढाईघर’ के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा 'साहित्य भूषण सम्मान’; ‘महात्मा गांधी सम्मान’, हिन्दी संस्थान, उत्तर प्रदेश; 'व्यास सम्मान’, के.के. बिड़ला न्यास, नई दिल्ली; 'जनवाणी सम्मान’, हिन्दी सेवा न्यास, इटावा। निधन : 9 फरवरी, 2020

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