Khiraki Khol Do-Hard Cover

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9788126729678
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खिड़की खोल दो’ में वर्षा दास के चार नाटक संकलित हैं। इन चारों नाटकों में उन्होंने मानव-जीवन को अलग-अलग पहलुओं से समझने का प्रयास किया है। संग्रह का पहला नाटक नहीं कभी नहीं’ एक स्वतंत्रचेता स्त्री को केन्द्र में रखकर चलता है जिसे नाटक में एक अपेक्षाकृत दुर्बलमना पुरुष के बरक्स उभारा गया है। 'मैं कौन हूँदो चोरों की कहानी है जो एक रात चोरी करने निकलते हैं तो इत्तेफ़ाक़न उनका सामना जीवन के कुछ ऐसे पक्षों से होता है जो उन्हें अपने बारे में नए सिरे से सोचने पर बाध्य कर देते हैं। आम आदमी की ज़िन्दगी से जुड़े दु:ख उन्हें बदल देते हैं। 'खिड़की खोल दोमें एक किशोरी अपने परिवार में पहली बार उन परम्पराओं को चुनौती देती है जिन्हें हर परिवार में स्त्री के व्यक्तित्व के दमन के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है और अन्ततअपनी बात मनवा लेती है। 'सपनासंग्रह का पूर्णकालिक नाटक है जिसमें जीवन के और भी जटिल हालात को उकेरते हुए नाटककार ने एक बड़े सपने की तरफ़ इशारा किया है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2017
Edition Year 2017, Ed. 1st
Pages 120p
Price ₹300.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14 X 1.5
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Varsha Das

Author: Varsha Das

वर्षा दास

बम्बई विश्वविद्यालय से संस्कृत में स्नातकोत्तर के उपरान्त वर्षा दास ने शिक्षण में अपना शोधकार्य ओस्मानिया विश्वविद्यालय से किया। पिछले चार दशकों से आप निरन्तर  गुजराती, हिन्दी व अंग्रेजी में मौलिक लेखन व बंगाली, उड़िया, मराठी, गुजराती, हिन्दी तथा अंग्रेजी से अनुवाद में अनेक विषयों एवं विधाओं में कार्य कर रही हैं।

आपके लेख ‘धर्मयुग’, ‘सारिका’, ‘दिनमान’, ‘अंगजा’, ‘वामा’, ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’, ‘शंकर’र्स वीकली’, ‘रविवार’, ‘आसपास’, ‘प्रजानीति’, ‘संडे मेल’, ‘नवनीत डायजेस्ट’ तथा ‘जनसत्ता’ आदि में प्रकाशित होते रहे हैं। दृश्य-कलाओं पर लेखन आपने गुजराती पत्र ‘सुकनी’ से 1964 में शुरू किया था। समकालीन चित्रकला पर गुजराती में आपकी पुस्तिका का प्रकाशन 1980 में परिचय ट्रस्ट ने किया था। साहित्य, अनुवाद तथा शान्ति व अहिंसा विषयक लेखन के लिए आपको केन्द्रीय साहित्य अकादमी, गुजरात साहित्य परिषद, सोका विश्वविद्यालय टोक्यो आदि ने सम्मानित किया है। राष्ट्रीय साक्षरता अभियान व यूनेस्को के लिए एशिया-पैसिफिक कल्चरल सेंटर तथा भारत सरकार के लिए आपने पुस्तक निर्माण कार्यक्रम व कार्यशालाएँ आयोजित की हैं।

आपने तीन दशकों से अधिक नेशनल बुक ट्रस्ट को अपनी समझ व सेवा से विकसित किया है जहाँ आपने पहले सम्पादक और फिर निदेशक के रूप में कार्य किया। आप राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय की निदेशक, गांधी शिक्षण प्रतिष्ठान, वाराणसी की ट्रस्टी, ए.वी. बालिगा स्मृति न्यास की ट्रस्टी, गांधी स्मारक निधि की कार्यकारिणी सदस्य तथा अनेक शैक्षिक संस्थाओं की संस्थापक व आजीवन सदस्य भी रही हैं।

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