Chahakata Chauraha

Author: Varsha Das
Edition: 2015, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Chahakata Chauraha
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रेडियो नाटक एक स्वतंत्र विधा है जिसकी सम्पूर्ण अनुभूति संगीत के साथ प्रस्तुत उसके रेडियो प्रसारण से ही होती है। लेकिन पाठ के रूप में रेडियो नाटक को पढ़ना भी एक समग्र अनुभव है जो हिन्दी पाठक अनेक वरिष्ठ लेखकों द्वारा रेडियो के लिए लिखे नाटकों के माध्यम से प्राप्त कर चुके हैं।

यह नाटक-संकलन उसी शृंखला की एक कड़ी है जिसमें अनेक विधाओं में समान कौशल से सृजनशील रहीं कला समीक्षक, कथाकार और कवयित्री वर्षा दास के तीन नाटक संकलित हैं। शिक्षा, अपने अधिकारों के प्रति सजगता, आपसी रिश्तों और महिला सशक्तीकरण को विभिन्न पहलुओं से आँकते, रेखांकित ये सरल-सहज नाटक अपनी विधा के साथ तो न्याय करते ही हैं, पठनीयता की भी तमाम शर्तों को पूरा करते हैं।

एक सिद्धहस्त रचनाकार के रूप में अपनी कला और कल्पना से दृश्यों को साकार करती हुईं वर्षा दास इन नाटकों के माध्यम से हमें अपनी रचनात्मकता के एक नए आयाम से परिचित कराती हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2015
Edition Year 2015, Ed. 1st
Pages 124p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Varsha Das

Author: Varsha Das

वर्षा दास

बम्बई विश्वविद्यालय से संस्कृत में स्नातकोत्तर के उपरान्त वर्षा दास ने शिक्षण में अपना शोधकार्य ओस्मानिया विश्वविद्यालय से किया। पिछले चार दशकों से आप निरन्तर  गुजराती, हिन्दी व अंग्रेजी में मौलिक लेखन व बंगाली, उड़िया, मराठी, गुजराती, हिन्दी तथा अंग्रेजी से अनुवाद में अनेक विषयों एवं विधाओं में कार्य कर रही हैं।

आपके लेख ‘धर्मयुग’, ‘सारिका’, ‘दिनमान’, ‘अंगजा’, ‘वामा’, ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’, ‘शंकर’र्स वीकली’, ‘रविवार’, ‘आसपास’, ‘प्रजानीति’, ‘संडे मेल’, ‘नवनीत डायजेस्ट’ तथा ‘जनसत्ता’ आदि में प्रकाशित होते रहे हैं। दृश्य-कलाओं पर लेखन आपने गुजराती पत्र ‘सुकनी’ से 1964 में शुरू किया था। समकालीन चित्रकला पर गुजराती में आपकी पुस्तिका का प्रकाशन 1980 में परिचय ट्रस्ट ने किया था। साहित्य, अनुवाद तथा शान्ति व अहिंसा विषयक लेखन के लिए आपको केन्द्रीय साहित्य अकादमी, गुजरात साहित्य परिषद, सोका विश्वविद्यालय टोक्यो आदि ने सम्मानित किया है। राष्ट्रीय साक्षरता अभियान व यूनेस्को के लिए एशिया-पैसिफिक कल्चरल सेंटर तथा भारत सरकार के लिए आपने पुस्तक निर्माण कार्यक्रम व कार्यशालाएँ आयोजित की हैं।

आपने तीन दशकों से अधिक नेशनल बुक ट्रस्ट को अपनी समझ व सेवा से विकसित किया है जहाँ आपने पहले सम्पादक और फिर निदेशक के रूप में कार्य किया। आप राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय की निदेशक, गांधी शिक्षण प्रतिष्ठान, वाराणसी की ट्रस्टी, ए.वी. बालिगा स्मृति न्यास की ट्रस्टी, गांधी स्मारक निधि की कार्यकारिणी सदस्य तथा अनेक शैक्षिक संस्थाओं की संस्थापक व आजीवन सदस्य भी रही हैं।

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