Jo Bacha Raha

Literary Criticism
Author: Nand Chaturvedi
As low as ₹280.00 Regular Price ₹400.00
You Save 30%
In stock
Only %1 left
SKU
Jo Bacha Raha
- +

वरिष्ठ रचनाकार नन्द चतुर्वेदी विविध विधाओं में लिखते रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक संस्मरण और आलोचना के मिश्रण से बने लेखों का संग्रह है। अनेक अनुभवों से समृद्ध इन लेखों में रचनाकारों का मूल्यांकन है, जीवन-शैली का विश्लेषण है, सिद्धान्तों की यात्रा है और सर्वोपरि उस दृष्टि की तलाश है जिसके बिना दिशाएँ विलुप्त हो जाती हैं।

नन्द चतुर्वेदी ने नईम, रजनीकान्त वर्मा, जीवनानन्द दास, लोहिया, मीराँ, हरीश भादानी, गणपतचन्द भंडारी और मदन डागा आदि पर लिखते हुए उनके सकारात्मक पक्षों को सामने रखा है। आलोचनात्मक दृष्टि सक्रिय है...लेकिन तर्कों और तथ्यों को विस्मृत नहीं किया गया है। व्यक्तिगत रिश्ता होते हुए भी लेखकीय तटस्थता लेखों की उल्लेखनीय विशेषता है। वे कई जगह भ्रान्तियों का निवारण भी करते चलते हैं।

इन लेखों के केन्द्र में केवल साहित्यकार नहीं हैं। पत्रकारिता के साथ कुछ ऐसे व्यक्तियों का ज़िक्र भी है जिनमें आदर्शों की झलक दिखाई देती है। मौसाजी, मास्साब रामचन्द्रजी और नेमिचन्द भावुक पर लिखते समय नन्द चतुर्वेदी ने यह ध्यान रखा है। यह कहना ज़रूरी है कि लेखों की भाषा में पर्याप्त पारदर्शिता है, जिससे अर्थ चमक उठता है, जैसे—'पोप और शंकराचार्य शान्ति और सद्भाव की प्रार्थनाओं के बावजूद वास्तविकताओं की बात नहीं करते और न उन व्यवस्थापकों को अपराधी करार देते हैं जो शोषकों के अगुआ हैं। ईश्वर को आगे करने से इस सारी व्यवस्था के अपराधी चरित्र को वैधता हासिल होती है और शोषकों को हैसियत मिल जाती है।’ इन लेखों को पढ़ते हुए ‘संवाद’ की अनुभूति होती है, यह बहुत सुखद है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2014
Edition Year 2014, Ed. 1st
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Jo Bacha Raha
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Nand Chaturvedi

Author: Nand Chaturvedi

नन्द चतुर्वेदी

जन्म : 21 अप्रैल, 1923 को रावजी का पीपत्या (पहले राजस्थान अब मध्य प्रदेश में) में।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), बी.टी.।

1950 से 1955 तक गोविन्दराम सेकसरिया टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में प्राध्यापक; 1956 से 1981 तक विद्याभवन रूरल इंस्टीट्यूट में हिन्दी प्राध्यापक।

लेखन : ब्रजभाषा में कविता लिखना प्रारम्भ किया। कविता के लिए पहला पुरस्कार बारह वर्ष की आयु में। राष्ट्र की स्वाधीनता और सामाजिक-आर्थिक ग़ैर-बराबरियों को रेखांकित करते हुए घनाक्षरी, सवैया, पद, दोहा पदों में रचनाएँ। हिन्दी (खड़ी बोली) में चतुष्पदियों, गीत से लगाकर अतुकान्त-आधुनिक कविताओं का सृजन। 'सप्तकिरण’, 'राजस्थान के कवि’ (भाग—1), 'इस बार’ (अध्यापकों का कविता-संग्रह), 'जयहिन्द’ (समाजवादी साप्ताहिक) से लेकर 'जनमन’, 'जन-शिक्षण’, 'मधुमती’ तथा चिन्तन-प्रधान साहित्यिक पत्रिका 'बिन्दु’ का सम्पादन। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की उच्च कक्षाओं के लिए कहानी तथा गद्य की अन्य विधाओं का संग्रह-सम्पादन। राजस्थान साहित्य अकादेमी के लिए प्रान्त के प्रख्यात रचनाकारों पर 'मोनोग्राफ़’ लेखन।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘आशा बलवती है राजन्’, ‘गा हमारी ज़िन्दगी कुछ गा’, ‘उत्सव का निर्मम समय’, ‘जहाँ उजाले की एक रेखा खींची है’, ‘यह समय मामूली नहीं’, ‘ईमानदार दुनिया के लिए’, ‘वे सोए तो नहीं होंगे’ (कविता-संग्रह); ‘शब्द संसार की यायावरी’, ‘यह हमारा समय’, ‘अतीत राग’ (गद्य); ‘सुधीन्द्र’ (व्यक्ति और कविता) राजस्थान साहित्य अकादेमी की पुरोधा शृंखला के अन्तर्गत प्रकाशित।

सम्मान : ‘मीराँ पुरस्कार’—राजस्थान साहित्य अकादेमी का सर्वोच्च पुरस्कार; ‘बिहारी पुरस्कार’—के.के. बिड़ला फ़ाउंडेशन; ‘लोकमंगल पुरस्कार’, मुम्बई; ‘अखिल भारतीय आकाशवाणी सम्मान’ (श्रेष्ठ वार्ताकार) आदि।

यात्रा : छठे विश्व हिन्दी सम्मेलन, लन्दन में राजस्थान राज्य द्वारा भेजे गए प्रतिनिधि मंडल के सदस्य।

मृत्यु : 25 दिसम्बर, 2014

Read More
Books by this Author

Back to Top