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Jivan Prabandhan Ki Shayari-Hard Cover

Special Price ₹255.00 Regular Price ₹300.00
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9788183613972
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शे'र और शायरी की सबसे बड़ी ख़ूबी है, उसका ज़बान पर चढ़ जाना। किसी भी अन्य भाषा की कविता शायद ही लोगों को इस तरह याद रहती है जैसे उर्दू की ग़ज़लें और शे'र। छोटी-छोटी लयबद्ध पंक्तियों में ज़िन्दगी के रंगों को उकेर देने की ख़ासियत के चलते हर ख़ासो-आम को अलग-अलग मौक़ों पर अलग-अलग मिज़ाज का शे’र कहते बहुत आसानी से सुना जा सकता है। इसी चीज़ को मद्देनज़र रखते हुए यह पुस्तक तैयार की गई है, इसका मक़सद ऐसी शायरी को एक जगह इकट्ठा करना है जिसका इस्तेमाल न सिर्फ़ आम पाठक अपनी ज़िन्दगी के चुनौतीपूर्ण अवसरों पर कर सकता है, बल्कि प्रबन्धन पढ़ानेवाले विशेषज्ञ भी अपने वक्तव्य को ज़्यादा आमफ़हम बनाने के लिए इससे काम ले सकते हैं।

प्रबन्धन विषय के जानकार और अच्छी शायरी के पारखी डॉ. पवन कुमार सिंह द्वारा तैयार यह पुस्तक शिक्षकों, प्रशिक्षकों, प्रशासकों, प्रबन्धकों, विद्यार्थियों और जननेताओं सभी के लिए समान रूप से उपयोगी है। विख्यात और कालजयी शायरों की रचनाओं से सजे इस संकलन में विषय के अनुसार आसानी से इच्छित शे'र मिल सकें, इसके लिए विषयवार विभाजन किया गया है, ताकि वे लोग भी इससे फ़ायदा उठा सकें जिनका शे'रो-शायरी से बहुत गहरा नाता नहीं रहा है। धूप में साये की दीवार उठाते जाएँ, ढंग जीने का ज़माने को सिखाते जाएँ, ख़ुद ही भर देंगे कोई रंग ज़माने वाले, हम तो एक सादा सी तस्वीर बनाते जाएँ।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2010
Edition Year 2010, Ed. 1st
Pages 212p
Price ₹300.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Author: Pawan Kumar Singh

पवन कुमार सिंह

डॉ. पवन कुमार सिंह भारतीय प्रबन्ध संस्थान, इन्दौर में प्रोफ़ेसर पद पर आसीन हैं। वह मानव संसाधन प्रबन्धन एवं संगठनात्मक व्यवहार विषय के शिक्षक हैं। इससे पहले वे दो दशकों तक राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान, मुम्बई; इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली; कानपुर विश्वविद्यालय तथा विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन जैसे महत्त्वपूर्ण संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में सफलतापूर्वक शिक्षण कार्य करते रहे हैं। इसके अतिरिक्त सांख्यिकी विश्लेषण, सम्प्रेषण कौशल, मानवीय मूल्य तथा कार्यस्थल के आध्यात्मिक आयाम जैसे विषयों में भी उनकी विशेष रुचि है। डॉ. सिंह शिक्षण के क्षेत्र में आने से पहले बैंक ऑफ़ इंडिया में औद्योगिक सम्बन्ध पदाधिकारी रह चुके हैं।

डॉ. सिंह प्रबन्ध शास्त्र में विक्रम विश्वविद्यालय से पीएच.डी. हैं। उन्होंने मानव संसाधन प्रबन्धन तथा अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर शिक्षा जेवियर संस्थान, राँची तथा राँची विश्वविद्यालय से पाई है। उनके द्वारा सम्पादित किए गए कार्यों में ‘शोध कार्य का मार्गदर्शन’, ‘प्रबन्धकीय प्रशिक्षण’, ‘औद्योगिक परामर्श’, ‘शोध-पत्र लेखन तथा सेमिनार में प्रस्तुतीकरण’, ‘पुस्तक लेखन’, ‘दूरस्थ शिक्षा के लिए पठन सामग्री का लेखन’ तथा ‘ऑडियो कैसेट द्वारा शिक्षण सामग्री का निर्माण’ आदि प्रमुख हैं।

डॉ. सिंह भारतीय प्रबन्ध संस्थान, इन्दौर के प्रभारी निदेशक रह चुके हैं। इसके साथ ही विभिन्न संस्थानों में उन्हें विविध प्रशासनिक अनुभव प्राप्त हैं। उनके प्रशिक्षण कार्यों से प्रबन्धक, प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, अभियन्ता, चिकित्सक, मानवीय न्यायाधीश, भारतीय रक्षा सेवा तथा वन सेवा के अधिकारी, शिक्षक तथा सम्पादकवृन्द लाभान्वित हुए हैं। उनकी प्रशिक्षण कार्यशालाओं में अब तक हज़ारों प्रबन्धक लाभान्वित हो चुके हैं।

डॉ. सिंह की रुचियों में पर्यटन, संगीत, काव्य-लेखन, क्रिकेट खेलना शामिल है। उन्होंने क़रीब चालीस संस्कृत शास्त्रों से सुप्रबन्धन के सूत्र संगृहीत किए हैं। वह सूक्तियों के शौक़ीन हैं। उनकी पसन्दीदा सूक्तियों में एक है—हम हमेशा जीने की तैयारी करते हैं परन्तु जीते कभी नहीं। ‘जीवन प्रबन्‍धन की शायरी’ उनकी एक बहुचर्चित कृति है।

ई-मेल : pawan@iimidr.ac.in

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