शे'र और शायरी की सबसे बड़ी ख़ूबी है, उसका ज़बान पर चढ़ जाना। किसी भी अन्य भाषा की कविता शायद ही लोगों को इस तरह याद रहती है जैसे उर्दू की ग़ज़लें और शे'र। छोटी-छोटी लयबद्ध पंक्तियों में ज़िन्दगी के रंगों को उकेर देने की ख़ासियत के चलते हर ख़ासो-आम को अलग-अलग मौक़ों पर अलग-अलग मिज़ाज का शे’र कहते बहुत आसानी से सुना जा सकता है। इसी चीज़ को मद्देनज़र रखते हुए यह पुस्तक तैयार की गई है, इसका मक़सद ऐसी शायरी को एक जगह इकट्ठा करना है जिसका इस्तेमाल न सिर्फ़ आम पाठक अपनी ज़िन्दगी के चुनौतीपूर्ण अवसरों पर कर सकता है, बल्कि प्रबन्धन पढ़ानेवाले विशेषज्ञ भी अपने वक्तव्य को ज़्यादा आमफ़हम बनाने के लिए इससे काम ले सकते हैं।
प्रबन्धन विषय के जानकार और अच्छी शायरी के पारखी डॉ. पवन कुमार सिंह द्वारा तैयार यह पुस्तक शिक्षकों, प्रशिक्षकों, प्रशासकों, प्रबन्धकों, विद्यार्थियों और जननेताओं सभी के लिए समान रूप से उपयोगी है। विख्यात और कालजयी शायरों की रचनाओं से सजे इस संकलन में विषय के अनुसार आसानी से इच्छित शे'र मिल सकें, इसके लिए विषयवार विभाजन किया गया है, ताकि वे लोग भी इससे फ़ायदा उठा सकें जिनका शे'रो-शायरी से बहुत गहरा नाता नहीं रहा है। धूप में साये की दीवार उठाते जाएँ, ढंग जीने का ज़माने को सिखाते जाएँ, ख़ुद ही भर देंगे कोई रंग ज़माने वाले, हम तो एक सादा सी तस्वीर बनाते जाएँ।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 2010 |
Edition Year | 2010, Ed. 1st |
Pages | 212p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 22 X 14.5 X 2 |