HIV AIDS : Satabdi Ka Sabase Bada Dhokha

Author: Kamlesh Jain
Edition: 2018, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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HIV AIDS : Satabdi Ka Sabase Bada Dhokha
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अमेरिकी सत्ता, सूचनातंत्र और बौद्धिक समुदाय के अथक प्रयत्न के कारण आज एड्स सारी दुनिया में चिन्ता और चर्चा का मुख्य विषय बन गया है। भारत में एड्स के बारे में लोगों को जानकारी बहुत कम है, लेकिन अफ़वाह की तरह उसका प्रसार और प्रभाव बहुत अधिक है। ऐसी स्थिति में कमलेश जैन ने सहज, सुबोध और जानदार भाषा में ‘एचआईवी/एड्स : शताब्दी का सबसे बड़ा धोखा’ नामक पुस्तक लिखकर एड्स के बारे में प्रचारित अनेक मिथकों का राज-रहस्य खोला है और उसके झूठ-सच से विशेषज्ञों को ही नहीं, सामान्य जनों को भी परिचित कराया है।

यह सतर्क सामाजिक संवेदनशीलता और गहरी मानवीय ज़िम्मेदारी से लिखी गई पुस्तक है। कमलेश जैन की पुस्तक यह साबित करती है कि विज्ञान के क्षेत्र में विचारधारा किस प्रकार काम करती है और यह भी कि विज्ञान को किस तरह जनविरोधी तथा जनता का पक्षधर बनाया जा सकता है। यह समझना मुश्किल नहीं है कि एड्स के बारे में विभिन्न देशों की सरकारों, ग़ैरसरकारी संगठनों और सूचना साम्राज्य के तंत्रजालों द्वारा जो झूठा सच रोज़-रोज़, बार-बार, लगातार प्रचारित किया जा रहा है; उसके विरुद्ध कुछ सुनना, समझना और स्वीकार करना आसान नहीं है। लेकिन जो एड्स सम्बन्धी जानलेवा झूठ से बचना चाहते हैं और अपने जीवन तथा अपने समाज के जीवन में आस्था रखते हैं, वे इस पुस्तक को ज़रूर पढ़ेंगे और इसके संजीवन सच को स्वीकार करेंगे।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2003
Edition Year 2018, Ed. 2nd
Pages 176p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21 X 14 X 1.5
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Kamlesh Jain

Author: Kamlesh Jain

कमलेश जैन

 

शिक्षा : एम.ए. (अंग्रेज़ी), एल.एल.बी.।

पटना उच्च न्यायालय में 13 मई, 1975 से दीवानी, फ़ौजदारी एवं संवैधानिक मामले की वकालत की शुरुआत। चार जनहित याचिकाएँ दायर कर चुकी हैं। बोका ठाकुर एवं रुदल साहा के मुक़दमों में सफलता प्राप्त की, पर डॉ. सन्ध्या दास के मुक़दमे में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। इस मुक़दमे में उन्होंने मुवक्किल के एक विचित्र बीमारी से ग्रसित होकर बिस्तर पर पड़े रहने के कारण उसके स्वेच्छा से अवकाश प्राप्त कर पेंशन आदि की माँग की थी। इस पुस्तक को लिखने की मूल-प्रेरणा यह मुक़दमा ही है।

प्रकाशन : यदा-कदा सामाजिक-क़ानूनी सम्बन्धी लेख पत्र-पत्रिकाओं में। पहली पुस्तक अंग्रेज़ी में ‘ज्यूडिशियरी ऑन ट्रायल’। इसका हिन्दी अनुवाद ‘न्यायपालिका कसौटी पर’ प्रकाशित। ‘एचआईवी/एड्स : शताब्दी का सबसे बड़ा धोखा’ बहुचर्चित कृति।

सम्प्रति : उच्च न्यायालय, पटना में वकालत।

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