इस पुस्तक का एकमात्र उद्देश्य है समाज को इस अपराध के प्रति जागरूक बनाना, यह बताना कि ख़ुद का बचाव कैसे किया जाए यदि यह हादसा हो ही जाए, किसी के साथ तो, उसकी किस तरह मदद की जाए, उसके आर्थिक, सामाजिक एवं क़ानूनी पक्ष को कैसे सँभाला जाए। इनकी जानकारी के अभाव में हम अपना रुख़ पीड़िता के विरुद्ध कर लेते हैं, उसी को सज़ा देते हैं, उसका अपमान करके, उससे किनारा करके जबकि उसे वैसे भी सहारे की ज़रूरत सबसे ज़्यादा होती है।
Language | Hindi |
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Binding | Paper Back |
Publication Year | 2008 |
Edition Year | 2008, Ed. 1st |
Pages | 64p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 21.5 X 14 X 1 |