Hindi Alochana Ka Punah Path

Edition: 2019, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Hindi Alochana Ka Punah Path
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हिन्‍दी आलोचना के इस पुन:पाठ में आलोचना को लेकर उठनेवाली भोली जिज्ञासाओं का अत्यन्त संवेदनशीलता से दिया गया उत्तर मौजूद है। हिन्दी में आलोचना के लिए ‘समालोचना’ और ‘समीक्षा’ शब्द चलते हैं। इसको लेकर कभी-कभी भ्रम की स्थिति होती है। किताब की शुरूआत ही इस भ्रम के निराकरण से हुई है। ‘आलोचना’, ‘समालोचना’ और ‘समीक्षा’ की व्युत्पत्ति और उनके बीच के बारीक अन्तर पर विचार किया गया है।

आलोचना और रचना का सम्बन्ध, आलोचक के दायित्व, आलोचक के कार्य, आलोचना की ज़रूरत या उपयोगिता, आलोचना के मान ही नहीं बल्कि आलोचक बनने के लिए आवश्यक योग्यता क्या होनी चाहिए, यह सब इस किताब में मिल जाएगा।

यह पुस्तक तीन पर्वों में प्रस्तुत है। पहले पर्व में आलोचना की अवधारणा, आधुनिक हिन्दी आलोचना की आरम्भिक स्थिति, आलोचना के विविध प्रकार से लेकर हिन्दी आलोचना की वर्तमान स्थिति का लेखा-जोखा मौजूद है। पुस्तक केवल आलोचक और आलोचना का महिमा-मंडन ही नहीं करती, बल्कि उस महिमा को बनाए और बचाए रखने के गुण-सूत्रों की खोज भी करती है। पुस्तक के द्वितीय पर्व में हिन्दी ओलाचना के शिखरों; यथा—रामचन्द्र शुक्ल, हजारीप्रसाद द्विवेदी, डॉ. नरेन्द्र, नन्ददुलारे वाजपेयी, रामविलास शर्मा और नामवर सिह आदि के अवदान का आकलन किया गया है। इसी प्रकार तीसरे पर्व में हिन्दी आलोचना के विविध सन्‍दर्भ जैसे आलोचना के सरोकार, नई सदी में हिन्‍दी आलोचना, आलोचना प्रक्रिया आदि पर विचार किया गया है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 298p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Kailash Nath Pandey

Author: Kailash Nath Pandey

कैलाश नाथ पाण्डेय

डॉ. कैलाश नाथ पाण्डेय की ख्याति एक चर्चित भाषा-वैज्ञानिक के रूप में है। आप ग़ाज़ीपुर जनपद की सैदपुर तहसील स्थित ग्राम—रामपुर माँझा के निवासी हैं। आपने बी.ए., स्नातकोत्तर महाविद्यालय, ग़ाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश) तथा एम.ए. केन्दीय विश्वविद्यालय सागर (मध्य प्रदेश) से उत्तीर्ण किया। लगभग चालीस वर्षों तक हिन्दी-अध्यापन के पश्चात् स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मलिकपुरा, ग़ाज़ीपुर के हिन्दी विभागाध्यक्ष-पद से सेवानिवृत्त।

आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं—‘भाषा विज्ञान का अनुशीलन', ‘भाषा विज्ञान का रसायन’, ‘हिन्दी : कुछ नई चुनौतियाँ’, ‘सन्त सुन्दरदास’, ‘उर्दू : दूसरी राजभाषा’, ‘प्रयोजनमूलक हिन्दी की नई भूमिका’, ‘कार्यालयीय हिन्दी’, ‘हिन्दी पत्रकारिता : संवाद और विमर्श’, ‘हिन्दी आलोचना का अन्त:पाठ’, ‘प्रयोजनमुलक हिन्दी की संकल्पना’ आदि।

आप ‘उदय नारायण तिवारी स्मृति सम्मान’, ‘पाणिनी पुरस्कार’, ‘श्यामसुन्दर दास पुरस्कार’, ‘सारस्वत सम्मान’, ‘धर्मवीर भारती पुरस्कार’ आदि से सम्मानित किए जा चुके हैं।

 

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