Vigyapan, Bazar Aur Hindi

Communication and Media Studies
As low as ₹476.00 Regular Price ₹595.00
You Save 20%
In stock
Only %1 left
SKU
Vigyapan, Bazar Aur Hindi
- +

विज्ञापनों का ख़ासा असर शुरुआती दौर में आहिस्ता-आहिस्ता किन्तु कालान्तर में धूम-धड़ाके के साथ भारतीय समाज में गहरे पसर चुका है। साफ़ शब्दों में, तमाम दर्जनों लांछनाओं के बावजूद आज हम विज्ञापनों के जिस मायावी संसार का सामना कर रहे हैं, उससे बचना हमारे लिए मुश्किल हो गया है। एक ओर अभिव्यक्ति के अधिकांश मंच-मचान और माध्यमों से इसका अटूट रिश्‍ता स्थापित हो चुका है तो दूसरी ओर यह सम्प्रेषण की मुकम्मल, पुख्ता और आकर्षक विधा और माध्यम तो बन ही गया है। अब यह व्यावसायिक शक्ति, विक्रय कला की प्रणाली, लोकसेवा, घोषणा, उपभोक्ता के लिए सूचना और सुझाव, व्यावसायिक ज़रिया और क्रय-शक्ति के संवर्धक के रूप में अपनी सार्थकता सिद्ध कर रहा है।

विज्ञापनों के बिना, बिलाशक बाज़ार चल नहीं सकता। बाज़ार को यह सुसम्पन्न और लुभावना बनाता है, उसे सजाता और साधता है। बिना इसके मीडिया के सामने अस्तिव का संकट पैदा हो सकता है। इसने भाषा, संस्कृति के साथ जीवन की कई चीज़ों को बदल दिया है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, 1st Ed.
Pages 410p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 24 X 15.5 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Vigyapan, Bazar Aur Hindi
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Kailash Nath Pandey

Author: Kailash Nath Pandey

कैलाश नाथ पाण्डेय

डॉ. कैलाश नाथ पाण्डेय की ख्याति एक चर्चित भाषा-वैज्ञानिक के रूप में है। आप ग़ाज़ीपुर जनपद की सैदपुर तहसील स्थित ग्राम—रामपुर माँझा के निवासी हैं। आपने बी.ए., स्नातकोत्तर महाविद्यालय, ग़ाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश) तथा एम.ए. केन्दीय विश्वविद्यालय सागर (मध्य प्रदेश) से उत्तीर्ण किया। लगभग चालीस वर्षों तक हिन्दी-अध्यापन के पश्चात् स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मलिकपुरा, ग़ाज़ीपुर के हिन्दी विभागाध्यक्ष-पद से सेवानिवृत्त।

आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं—‘भाषा विज्ञान का अनुशीलन', ‘भाषा विज्ञान का रसायन’, ‘हिन्दी : कुछ नई चुनौतियाँ’, ‘सन्त सुन्दरदास’, ‘उर्दू : दूसरी राजभाषा’, ‘प्रयोजनमूलक हिन्दी की नई भूमिका’, ‘कार्यालयीय हिन्दी’, ‘हिन्दी पत्रकारिता : संवाद और विमर्श’, ‘हिन्दी आलोचना का अन्त:पाठ’, ‘प्रयोजनमुलक हिन्दी की संकल्पना’ आदि।

आप ‘उदय नारायण तिवारी स्मृति सम्मान’, ‘पाणिनी पुरस्कार’, ‘श्यामसुन्दर दास पुरस्कार’, ‘सारस्वत सम्मान’, ‘धर्मवीर भारती पुरस्कार’ आदि से सम्मानित किए जा चुके हैं।

 

Read More
Books by this Author

Back to Top