Hata Rahim-Hard Cover

Special Price ₹340.00 Regular Price ₹400.00
You Save 15%
ISBN:9788183616669
In stock
SKU
9788183616669
- +

क्या किसी व्यक्ति या समाज का अस्तित्व महज़ एक संस्था या कुछ सूचनाओं में सीमित हो सकता है? आज के उत्तर-आधुनिक दौर की सच्चाई यही है कि देश और दुनिया की विशाल से विशालतर होती जाती आबादी में एक सामान्य जन जनसंख्या सूची की एक संख्या में सिमटकर रह जाने को अभिशप्त है। जनगणना का सूत्र लेकर चर्चित रचनाकार वीरेन्द्र सारंग का यह उपन्यास अत्यन्त तर्कसंगत ढंग से न सिर्फ़ इस दुरवस्था को उजागर करता है, बल्कि पूरी दृढ़ता से यह स्थापित करता है कि कुछ औपचारिक संख्याओं-सूचनाओं से किसी व्यक्ति या समाज की वास्तविक स्थिति-परिस्थिति को सम्पूर्णता में समझा नहीं जा सकता। मुख्य पात्र देवीप्रसाद की नज़र से यह उपन्यास एक बस्ती के तमाम दृश्य-अदृश्य रंग-रेशों को उजागर करता है, जहाँ अभावग्रस्तता और जड़ता आम है। लेकिन प्रतिकूलताओं की परतों के नीचे दबे सकारात्मक बदलाव के बीज अभी निर्जीव नहीं हुए हैं।

‘हाता रहीम’ की कहानी बेशक एक बस्ती में घूमती है, लेकिन तसले में सीझ रहे सारे चावलों का हाल एक दाने से जानने की तरह यह भारत के तमाम गाँवों-क़स्बों के समसामयिक यथार्थ का उद्घाटन करती है। सरकारी तंत्र इन गाँवों-क़स्बों के उद्धार का वादा करने में कभी कोताही नहीं करता, मगर किसी फ़ॉर्म के दस-बीस या तीस कॉलमों में लोगों की सूचनाएँ दर्ज करने की औपचारिकता से आगे उसकी दृष्टि प्राय: नहीं जा पाती। इस स्थिति में उपन्यास बतलाता है कि स्वप्न का सच्चाई में बदलना सम्भव नहीं है। उपन्यास का मुख्य चरित्र अपने विशिष्ट दृष्टिकोण के कारण एक ओर समाज के लिए प्रेरक की भूमिका निभाता है तो दूसरी ओर प्रतिकूल समय में व्यक्तिगत निष्ठा से समष्टिगत हित के सृजन संवर्धन का सन्देश भी देता है।

जनगणना विषय पर कथा साहित्य का एकमात्र यह पहला उपन्यास अपने तेवर में ख़ास है। एक अत्यन्त पठनीय कृति।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2014
Edition Year 2016, Ed. 2nd
Pages 224
Price ₹400.00
Translator Translator One
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Hata Rahim-Hard Cover
Your Rating
Virendra Sarang

Author: Virendra Sarang

वीरेन्द्र सारंग

जन्म : 12 जनवरी, 1959, उत्तर प्रदेश के जमानियाँ, ग़ाज़ीपुर में।

हिन्दी के जाने-माने कवि-कथाकार। घुमक्कड़ी और स्वतंत्र लेखन के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी कार्य।

प्रकाशित कृतियाँ : 'कोण से कटे हुए’, 'हवाओ! लौट जाओ’, 'अपने पास होना’ (कविता-संग्रह); 'तीसरा बच्चा’, 'हाता रहीम',  आर्यगाथा', 'जननायक कृष्ण' (उपन्यास)।

सम्मान : 'महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान', 'विजयदेव नारायण साही पुरस्कार', 'भोजपुरी शिरोमणि अलंकरण', 'प्रेमचन्द स्मृति सम्मान' आदि।

फिलहाल लखनऊ में निवास।

 

Read More
Books by this Author
Back to Top