Jan Nayak Krishna

Author: Virendra Sarang
Edition: 2019, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
As low as ₹374.25 Regular Price ₹499.00
25% Off
In stock
SKU
Jan Nayak Krishna
- +
Share:

वीरेन्द्र सारंग का यह नया उपन्यास इस मायने में महत्त्वपूर्ण है कि यह महाभारत काल और कृष्ण से जुड़े मिथकों को एक नई दृष्टि से देखता है। इसका असली सार कृष्ण के उस जननायक रूप का है जिसे बाक़ायदा राजनीति के तहत नन्द और वासुदेव समर्थकों ने उनके बचपन से ही मिथकीय रूप दिया ताकि कंस के ख़‍िलाफ़ जनता को एकजुट किया जा सके। कंस असुर है जो देवताओं और आर्यों के चंगुल में फँसकर क्रूर और तानाशाह हो गया है। उग्रसेन नाक़ाबिल और कमज़ोर राजा हैं जिन्हें हटाकर कंस राजा बनता है ताकि अपनी अनार्य संस्कृति की रक्षा की जा सके, जो मूलत: गोपालक और कृषक जाति है। देवता आर्य संस्कृति को बढ़ावा देना चाहते हैं जो मूलत: उपभोग की संस्कृति है।

इस उपन्यास की ख़ासियत यह है कि मिथकों में जिनको राक्षसों का रूप दिया जाता है, लेखक ने बहुत यथार्थवादी दृष्टि से उनका मानवीकरण कर दिया है, उनके सुख-दु:ख का भी। उपन्यास का सबसे दिलचस्प हिस्सा कृष्ण के बुढ़ापे का है जब सब कुछ उनके हाथ से निकल जाता है। द्वारका में अराजकता फैल चुकी है और कृष्ण बहुत अकेले पड़ गए हैं। वे अपनी झोली लेकर द्वारका छोड़ देते हैं। उनकी मृत्यु का प्रसंग और भी दारुण है। क्या हर क्रान्ति का यही हश्र होता है? शायद यह सत्ता का चरित्र है जो किसी को भी निरंकुश बना देती है। जिस शान्ति के लिए कृष्ण द्वारका आए, वह अराजक हो गई। उनकी अपनी ही सन्तानें उनके ख़‍िलाफ़। कुल मिलाकर यह उपन्यास कृष्ण-कथा का नया और दिलचस्प भाष्य प्रस्तुत करता है जो बेहद पठनीय है।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 303p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Jan Nayak Krishna
Your Rating
Virendra Sarang

Author: Virendra Sarang

वीरेन्द्र सारंग

जन्म : 12 जनवरी, 1959, उत्तर प्रदेश के जमानियाँ, ग़ाज़ीपुर में।

हिन्दी के जाने-माने कवि-कथाकार। घुमक्कड़ी और स्वतंत्र लेखन के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी कार्य।

प्रकाशित कृतियाँ : 'कोण से कटे हुए’, 'हवाओ! लौट जाओ’, 'अपने पास होना’ (कविता-संग्रह); 'तीसरा बच्चा’, 'हाता रहीम',  आर्यगाथा', 'जननायक कृष्ण' (उपन्यास)।

सम्मान : 'महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान', 'विजयदेव नारायण साही पुरस्कार', 'भोजपुरी शिरोमणि अलंकरण', 'प्रेमचन्द स्मृति सम्मान' आदि।

फिलहाल लखनऊ में निवास।

 

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top