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Gokul Mathura Dwarka-Paper Back

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मूल गुजराती में समादृत इस कथात्रयी ‘गोकुल मथुरा द्वारिका’ के नायक हैं श्रीकृष्ण, जो कथा में आद्योपान्त यवनिका के पीछे तिरोहित रहते हैं, किन्तु पाठक पग-पग पर उनका सान्निध्य पाता चलता है—अदृश्य, अगोचर किन्तु अनुभूति में व्याप्त। फिर ऐसे श्रीकृष्ण का जीवन-चरित लिखते हुए लेखक ने गोकुल मथुरा द्वारिका जैसे स्थलवाचक नाम क्यों दिए? श्रीकृष्ण का जीवन तो समग्र भारतवर्ष के साथ सम्बद्ध है?

गोकुल मथुरा द्वारिका कहते ही क्या सम्पूर्ण कृष्ण हमारे मानसपटल पर नहीं आ उपस्थित होते?

गोकुल के लोकनायक कृष्ण!

मथुरा के युगपुरुष कृष्ण!

द्वारिका के योगेश्वर कृष्ण!

अपने-अपने में परिपूर्ण मगर एक दूसरे की सर्वथापूरक यह उपन्यास-त्रयी हिन्दी पाठकों को उस श्रीकृष्ण से परिचित करवाने का प्रयास है जो रसेश्वर से योगेश्वर बने हैं।

एक से बढ़कर एक चुनौतियों का सामना करनेवाला यह चरित्र प्रत्येक युग के लिए प्रेरणादायक है। वे समग्र रूप में पुरुषोत्तम हैं। आनन्द रूप में अनुभव-गम्य हैं।

‘अमृता’ उपन्यास के माध्यम से हिन्दी पाठक जगत के बीच सुख्यात और ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ विजेता रघुवीर चौधरी की यह उपन्यास-त्रयी इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि इसमें मिथक की गरिमा और कथात्मकता की रक्षा करते हुए आधुनिक जीवन और परिवेश की झलक भी पाठकों को स्पष्ट रूप में मिल जाती है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Alok Gupta
Editor Not Selected
Publication Year 2010
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 568p
Price ₹599.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 4
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Raghuveer Chaudhary

Author: Raghuveer Chaudhary

रघुवीर चौधरी

जन्म : 5 ​​दिसम्बर सन् 1938; बापुपुरा, महेसाणा (उत्तर गुजरात)।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी, संस्कृत), पीएच.डी. (भाषाविज्ञान)।

कृतियाँ : गुजराती में दर्जनों मौलिक कृतियाँ। कुछ-एक का सम्पादन-अनुवाद। प्रमुख है : काव्य—‘तमसा’, ‘वहेता वृक्ष पवनमाँ’; उपन्यास—‘गोकुल’, ‘मथुरा’, ‘द्वारिका’, ‘पूर्वराग’, ‘अमृता’, ‘आवरण’, ‘वेणु वत्सला’, ‘उपरवास कथा-त्रयी’, ‘लागणी’, ‘सोमतीर्थ’; कहानी-संग्रह—‘आकस्मिक स्पर्श’, ‘गेरसमज’; नाटक—‘अशोक वन’, ‘झूलता किनारा’, ‘सिकन्दर सानी’; एकांकी—‘डिम लाइट’; रेखाचित्र—‘सहरानी भव्यता’; समीक्षा—‘गुजराती नवलकथा’, ‘अद्यतन कविता’, ‘वार्ता-विशेष’, ‘दर्शकना देशमाँ’।

सम्मान : गुजरात शासन द्वारा ‘कुमार चन्द्र’, ‘रणजीतराम सुवर्णचन्द्र’, ‘उपरवास कथा-त्रयी’ के लिए केन्द्रीय ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ और ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित।

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