Ek Mat Kayamat

Author: Sushil Kalra
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Ek Mat Kayamat
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भारत-पाक विभाजन एक ऐसी त्रासदी है जिसकी भीषणता और भारतीय जन-जीवन पर पड़े उसके प्रभाव को न तो देश के एक बड़े हिस्से ने महसूस किया और न साहित्य में ही उसे उतना महत्त्व दिया गया जितना दिया जाना चाहिए था। देश की आज़ादी और विभाजन को अब सत्तर साल हो रहे हैं; फिर भी ढूँढ़ने चलें तो कम से कम कथा-साहित्य में हमें ऐसा बहुत कुछ नहीं मिलता जिससे इतिहास के उस अध्याय को महसूस किया जा सके।

यह आत्मवृत्त इस मायने में महत्त्वपूर्ण है कि इसमें उस वक़्त विभाजन को याद किया जा रहा है जब देश में धार्मिक और साम्प्रदायिक आधारों पर समाज को बाँटने की प्रक्रिया कहीं ज्‍़यादा आक्रामक और निर्द्वन्द्व इरादों के साथ चलाई जा रही है। पाकिस्तान को एक पड़ोसी देश के बजाय जनमानस में एक स्थायी शत्रु के रूप में स्थापित किया जा रहा है; और सामाजिक समरसता को गृहयुद्ध की व्याकुलता के सामने हीन साबित किया जा रहा है। इस उपन्यास का प्रथम पुरुष मृत्युशैया पर आख़‍िरी पल की प्रतीक्षा करते हुए सहज ही उन दिनों की यात्रा पर निकल जाता है जब लाखों लोग अचानक अपने ही घरों और ज़मीनों पर विदेशी घोषित कर दिए गए थे, और उन्हें नए सिरे से ‘अपना मुल्क’ ढूँढ़ने के लिए ख़ून के दरिया में धकेल दिया गया था।

उम्मीद है कि इस पुस्तक में आया विभाजन का वृत्तान्‍त हमें उस ख़तरे से आगाह करेगा जिसकी तरफ़ आज की फूहड़ राजनीति हमे ले जाने की कोशिश कर रही है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 176p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Sushil Kalra

Author: Sushil Kalra

सुशील कालरा

सुशील कालरा का जन्म 13 जून, 1940 को गुजराँवाला (पाकिस्तान) में हुआ था। 1966 में उन्होंने दिल्ली कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स से कला का डिप्लोमा लिया और एक बहुचर्चित एडवरटाइजिंग एजेंसी में कार्यरत हुए। हालात का यह मज़ाक़ उनसे ज़्यादा बर्दाश्त न हो पाया और उन्होंने ख़ुद हास्य कला की दुनिया में प्रवेश किया, ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के व्यंग्य चित्रकार के रूप में। यहाँ से उनका ‘दिस दिल्ली’ नाम का पहला कार्टून-संग्रह प्रकाशित हुआ। सुशील जी की पहली बहुचर्चित लेखनी ‘निक्का निमाणा’ 1984 में प्रकाशित हुई और बाद में पंजाबी और अंग्रेज़ी संस्करण भी प्रकाशित हुए। एक सम्मानित लेखक, व्यस्त कलाकार और लोकप्रिय व्यंग्य चित्रकार, यह उनकी आत्मकथा है। निधन : 18 दिसम्बर, 2013

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