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Dhruv Tara Jal Mein-Hard Cover

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9788126729708
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आज की हिन्दी कविता को जिन लोगों ने सम्भव किया है, उनमें विवेक निराला सर्वाधिक महत्त्व के अधिकारी हैं। सर्वथा नई काव्यभूमि का अर्जन और भाषा की अनूठी भंगिमाओं का सृजन विवेक की कविताओं को एक पृथक् पहचान देते हैं। विवेक अपने काव्य-सन्धान में सुदूर ‘महाभारत’ तक जाते हैं और साथ ही साथ बिलकुल सामने की गली में चल रहे जीवन-व्यापार को भी उसी तन्मयता और कलागत सौष्ठव से चित्त में उतार लेते हैं। इसी प्रशस्त जीवन-चाप के प्रत्यक्ष उदाहरण हैं 'जूठा-झूठा' जैसे मार्मिक चित्र। बहुत कम कवियों के पास ऐसा विराट कथ्य-वृत्त मिलता है।

विवेक ने बड़े अपनापे के साथ साधारण लोगों का चित्रण किया है। गहरी करुणा और प्रेम से उनके संघर्षों, जिजीविषा और जीवट को उद्घाटित किया है। विवेक की बहुत बड़ी ख़ूबी है उनके स्वर का सन्तुलन। अत्यन्त भावाविष्ट क्षणों में भी उनका स्वर संयत और उद्वेगहीन रहता है यानी तरंगें ताल में नहीं बल्कि पाठक के अन्तस में उठती हैं। ऐसा आत्म-नियंत्रण, वस्तुनिष्ठता और आसक्ति से भरी अनासक्ति दुर्लभ है।

विवेक गहरे और वास्तविक अर्थों में राजनीतिक कवि हैं। कई बार उनकी कविताएँ सपाट और मुँहफट भी लग सकती हैं लेकिन यह भी कवि की रणनीति ही है। वह जो कुछ करते हैं, वह सोची-समझी कला-नीति का परिणाम होता है। 'दिल्ली में एक दिन की राष्ट्रीय समस्या' एक अद्भुत राजनीतिक कविता है। इसका शिल्प भी बेजोड़ है। लेकिन शिल्प की दृष्टि से जो कविता स्वयं विवेक की पिछली सारी कविताओं को पीछे छोड़ देती है वह है ‘नई वर्णमाला’। सम्भवत: ऐसी कविता आज तक लिखी ही नहीं गई। इसी से लगता है कि विवेक कविता की नई वर्णमाला रच रहे हैं और कवि को सभी काव्य-रूपों पर अधिकार प्राप्त है। चाहे वह गद्य कविता हो या छन्दोबद्ध, चाहे लघुकाय हो अथवा लम्बी। ‘स्वर्णयुगों पर शोकगीत’ और ‘विरासत का सवाल’ काफ़ी लम्बी कविताएँ हैं और यहाँ भी कवि ने उसी नियंत्रण और शैल्पिक तथा वास्तु-प्रवीणता का परिचय दिया है।

ऐसा संग्रह कभी-कभी ही बन जाता है। आशा है कि हिन्दी के चारु, सहृदय पाठक इसको अंगीकार करेंगे।

—अरुण कमल

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Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2017
Edition Year 2017, Ed. 1st
Pages 127p
Price ₹250.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Vivek Nirala

Author: Vivek Nirala

विवेक निराला

जन्म : 30 जनू, 1974

शिक्षा : एम.ए., डी. फिल. इलाहाबाद विश्वविद्यालय।

प्रकाशन : ‘एक बिम्ब है यह’ (2005) के बाद दूसरा कविता-संग्रह ‘ध्रुवतारा जल में’; ‘निराला-साहित्य में चेतना और निराला के स्वर’ (आलोचना) तथा ‘सम्पूर्ण बाल रचनाएँ’ नामक पुस्तक का सम्पादन।

सम्प्रति : कौशाम्बी जनपद के एक महाविद्यालय में विभागाध्यक्ष।

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