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Dhoday Charitmanas-Hard Cover

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9789352210954
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आधुनिक भारतीय कथा - साहित्य में कहानी कहना बंगाल की कला है । प्रस्तुत रचना इस मान्यता का एक अच्छा उदाहरण है । धीरोदात्त नायक यहाँ नहीं है । है तो ढोड़ाय , जैसा मामूली नाम तैसा चरित , ततमा लोगों के पूरे सामाजिक संदर्भ में , जहाँ ' पक्की ' ( यानी पक्की सड़क ) आधुनिक जीवन और बाहरी तत्त्व को प्रतिकित करती है । यह ' पक्की ' ही पूरे उपन्यास को आदि से अंत तक जोड़े हुए है । जिस समाज में महज पक्की सड़क नयी रोशनी का प्रतीक हो , उसे आधुनिक संदर्भों में जोड़ना रचनात्मक और वैचारिक दोनों स्तरों पर ' कितना कठिन है , यह आसानी से समझा जा सकता है । पर प्रख्यात बंगला कथा - शिल्पी सतीनाथ भादुड़ी ने कलात्मक धीरज के साथ इस जोड़ को साधा है । यों एक बड़े कालगत अंतराल को कथाकार ने अपनी संवेदना से पूरा किया है । प्रसिद्ध बंगला उपन्यास ' ढोड़ाय चरितमानस ' हिंन्दी में प्रकाशित होने के पूर्व ही यहाँ विस्तृत चर्चा का विषय बना रहा है । तब हिंदी पाठक के मन में उसको लेकर अतिरिक्त उत्सुकता का होना स्वाभाविक है । ' मैला आँचल ' हिंदी के समकालीन क्लैसिकों में है । उसका मूल नक्शा यहाँ देखा जा सकता है , जिसे हिंदी के उपन्यासकार ने अपने ढंग से समृद्धतर किया है । यों हिंदी की आंचलिक कथा - धारा का एक स्रोत है । ' ढोड़ाय चरितमानस ' । इस दृष्टि से सामान्य से सामान्य पाठक और विशिष्ट से विशिष्ट शोधकर्ता के लिए यह कथा - कृति रोचक और उपयोगी सिद्ध होगी ।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2008
Edition Year 2008, Ed. 1st
Pages 336p
Price ₹300.00
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.8
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Satinath Bhaduri

Author: Satinath Bhaduri

सतीनाथ भादुड़ी

सतीनाथ भादुड़ी का जन्म 27 सितम्‍बर, 1906 को पूर्णिया, बिहार में हुआ था। उन्‍होंने अर्थशास्‍त्र में पटना विश्‍वविद्यालय से एम.ए. की डिग्री हासिल की। लिखना तो बहुत बाद में शुरू किया, इससे पहले उनकी पहचान एक अच्छे राजनीतिज्ञ और बड़े समाज सुधारक के तौर पर थी। वे आज़ादी के आन्‍दोलन में काफ़ी सक्रिय थे। महात्मा गांधी के आह्वान पर सत्याग्रहियों की टोली में शामिल हो गए थे। ब्रितानी हुकूमत के ख़िलाफ़ कई गतिविधियों में शामिल रहने के कारण उन्हें तीन बार जेल की यात्रा करनी पड़ी। जेल में जयप्रकाश नारायण, फणिभूषण सेन, श्रीकृष्ण सिंह और अनुग्रह नारायण सिंह के साथ उन्हें रहने का अवसर मिला। जेल में रहते हुए ही उन्होंने ‘जागोरी’ नामक प्रसिद्ध उपन्यास लिखा था।

लोक-संस्कृति के चितेरे के साथ-साथ लोक-संघर्ष से भी गहरे जुड़े रहनेवाले सतीनाथ भादुड़ी ने अपने जीवन में कई उपन्यास लिखे। अनेक लघुकथाएँ और निबन्‍धों की रचना की। उनके महत्त्वपूर्ण उपन्यासों में ‘जागोरी’, ‘ढोड़ाय चरितमानस’, ‘काकोरी’, ‘संकट’, ‘दिग्भ्रान्‍त’ आदि शामिल हैं। ‘ढोड़ाय चरितमानस’ पूर्णिया और आसपास के लोक को समझने के लिए बांग्ला और हिन्‍दी दोनों ही भाषाओं में असाधारण कृति है।

उनका निधन 30 मार्च, 1965 को हुआ।

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