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Deradangar-Hard Cover

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9788171197170
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विगत कुछ वर्षों में मराठी से हिन्दी में अनेक श्रेष्ठ आत्मकथाएँ अनूदित होकर आई हैं। ख़ासकर ये आत्मकथाएँ जिन्होंने दलित साहित्यान्दोलन में अपने अलग तेवर के ज़रिए न सिर्फ़ मराठी साहित्य को बल्कि सम्पूर्ण भारतीय साहित्य को एक नई सोच, दिशा और समझ तथा ऊर्जा प्रदान की।

डेराडंगरउनमें से अधिकांश आत्मकथाओं से इस अर्थ में अलग है कि इसमें नायक गौण है, और उसका परिवेश, उसकी परिस्थितियाँ प्रधान हैं। इसमें नायक को केन्द्र में स्थापित करने के बजाय उस व्यवस्था को केन्द्र में रखा गया है जिसमें नायक के सम्पूर्ण समाज के लोग अपना पीड़ित, यातनामय और नारकीय जीवन जी रहे हैं। आत्मकथाकार का प्रयोजन अपने गुणों का बखान करना है, ऐसा इस पूरी पुस्तक में कहीं नज़र नहीं आता।

तटस्थता, वस्तुनिष्ठता और विश्वसनीयता इस आत्मकथा के अन्य गुण हैं। अच्छी आत्मकथा के  इन्हीं आधारभूत औज़ारों के आधार पर इसमें एक व्यक्ति का, उसके ज़रिए एक पूरे समाज का, उसकी जीवन-प्रणाली और संस्कृति का, उसकी प्रश्नपीड़ित ज़िन्दगी की व्यथा और वेदना का, उसके हारने, गिरने और उभरने, तथा मर नहीं सकते इसलिए जीने की विवशताओं का बोध कराया गया है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2001
Edition Year 2024, Ed 2nd
Pages 196p
Price ₹695.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
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Author: Dadasahab More

दादासाहब मोरे

जन्‍म : 1 जून, 1961 को सोलापुर ज़ि‍ले के बावची में हुआ।

शिक्षा : एम.ए. (प्रथम श्रेणी), सेट परीक्षा में भी उत्‍तीर्ण।

प्रमुख कृतियाँ : मराठी में ‘गबाळ’ नाम से प्रकाशित ‘डेराडंगर’ आत्मकथा एक बेहद प्रसिद्ध कृति। ‘दुस्काल’, ‘अंधाराचे वारसदार’ (उपन्‍यास), ‘विमुक्‍त’, ‘विलसा’ आदि अन्‍य साहित्यिक महत्त्वपूर्ण कृतियाँ।

सम्‍मान : ‘गबाल’ के लिए ‘राज्‍य पुरस्कार’, ‘मुकादम साहित्‍य पुरस्‍कार’; ‘विमुक्‍त’ के लिए ‘आनन्‍दीबाई शिर्के पुरस्‍कार’; ‘अंधाराचे वारसदार’ के लिए ‘कार्तिकेय पुरस्‍कार’; ‘विलसा’ के लिए ‘दक्षिण महाराष्‍ट्र साहित्‍य सभा पुरस्‍कार’ आदि।

अनुवाद : कई कृतियों का विभिन्‍न भाषाओं में अनुवाद।

सम्‍प्रति : दलित-साहित्यान्दोलन में एक अहम स्थान रखनेवाले दादासाहब यशवंतराव चौहान मुक्त विश्वविद्यालय, नासिक (महाराष्ट्र) में मानविकी और समाज विज्ञान संकाय में एसोशिएट प्रोफ़ेसर हैं।

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