Computer V Soochana Prodyogiki Shabdkosh

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यह निर्विवाद रूप से सत्य है कि अंग्रेज़ी अब एक अन्तरराष्ट्रीय भाषा बन चुकी है। फ़्रेंच, स्पेनिश आदि भाषाएँ जो कभी अंग्रेज़ी का मुक़ाबला किया करती थीं, अब कोसों पीछे रह गई हैं। इसी तरह सम्पूर्ण भारत में हिन्दी अब एकमात्र सम्पर्क भाषा है और वह वास्तव में राष्ट्रभाषा का रूप ले चुकी है। वर्ष 2011 की जनगणना के आँकड़ों के अनुसार आज भारत में अंग्रेज़ी (टूटी-फूटी ही सही) जानने-समझने व बोलनेवालों की संख्या मात्र बारह करोड़ है जबकि हिन्दी जानने-समझने, बोलने वालों की संख्या 55-56 करोड़ से अधिक है। अन्य भाषा-भाषियों की शिक्षा के लिए जो त्रिभाषा फार्मूला अपनाया गया था, वह भी रंग लाया है। आज लगभग 18 करोड़ लोग तीन भाषाएँ जैसे— बांग्ला, मराठी, उर्दू आदि बोलते-समझते हैं।

कम्प्यूटर व सूचना प्रौद्योगिकी आज प्रमुख व आधार विषय हैं। इनका अध्ययन व प्रयोग अच्छी नौकरी या व्यवसाय की गारंटी है। आज भारतीय सॉफ़्टवेयर विशेषज्ञों ने पूरे विश्व में झंडा गाड़ रखा है। अन्य विषयों के अध्ययन व प्रयोग में भी कम्प्यूटरों व सूचना प्रौद्योगिकी का भरपूर उपयोग होता है। हालाँकि भारत के बड़े क्षेत्र में बिजली का भारी अभाव है पर फिर भी कम्प्यूटर व सूचना प्रौद्योगिकी की पहुँच दूर-दूर तक बढ़ रही है। इससे कार्य पद्धति वैज्ञानिक हो रही है और पारदर्शिता भी आ रही है। ‘कम्प्यूटर व सूचना प्रौद्योगिकी शब्दकोश’ इस दिशा में एक विनम्र प्रयास है। इसका मूल उद्देश्य है अपनी भाषा में शिक्षा ग्रहण करनेवालों के लिए उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु एक बफर के रूप में कार्य करना। इस शब्दकोश के माध्यम से कम्प्यूटर व सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रयुक्त शब्दों व शब्दावलियों के बारे में पर्याप्त समझ विकसित हो जाएगी जिससे वे आगे की शिक्षा अंग्रेज़ी या किसी अन्य भाषा के माध्यम से ग्रहण कर पाएँगे।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 316p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Vinod Kumar Mishra

Author: Vinod Kumar Mishra

विनोद कुमार मिश्र

जन्म : 12 जनवरी, 1960, इटावा (उ.प्र.)।

शिक्षा : विकलांग होने के बावजूद हाईस्कूल तथा इंटरमीडिएट की परिक्षाएँ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। सन् 1983 में रुड़की विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त कर सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सी.ई.एल.) में सहायक अभियन्ता के रूप में नियुक्त हुए। विभिन्न विभागों में काम करते हुए आजकल वरिष्ठ तकनीकी प्रबन्धक के रूप में काम कर रहे हैं।

अब तक कुल 30 पुस्तकें (17 विकलांगता सम्बन्धी तथा 11 विज्ञान सम्बन्धी) प्रकाशित। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 300 लेख प्रकाशित।

पुरस्कार : सन् 1996 में राष्ट्रपति पदक, 2001 में ‘हिन्दी अकादमी सम्मान’ तथा योजना आयोग द्वारा ‘कौटिल्य पुरस्कार’। सन् 2003 में अपारम्परिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय द्वारा ‘प्राकृतिक ऊर्जा पुरस्कार’, 2004 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा ‘सृजनात्मक लेखक पुरस्कार’, विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा ‘डॉ. मेघनाद साहा पुरस्कार’ तथा महासागर विकास मंत्रालय द्वारा ‘हिन्दी लेखन पुरस्कार’।

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